लोकसभा में सरोगेसी विधेयक पारित हो गया। भारत में सरोगेसी (किराए की कोख) से उभरने वाली समस्याओं से निपटने के लिए यह विधेयक लाया गया है। यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी और इससे जुड़े अनैतिक कार्यों पर रोक लगाएगा। विधेयक में राष्ट्रीय एवं राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित करने की बात कही गई है। बिल के मुताबिक, समलैंगिक, सिंगल पैरेंट और लिव-इन पार्टनर्स किराए की कोख नहीं ले पाएंगे। हालांकि, कुछ महिला सांसदों ने मांग की कि सिंगल पैरेंट सरोगेसी के जरिए माता या पिता बन सकें, इसके लिए बिल में प्रावधान होने चाहिए।नेशनल वुमेन्स पार्टी अब देगी पुरुषों को चुनौतीद सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 पर लोकसभा में करीब एक घंटे बहस हुई। कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के सांसदों को बिल के कई प्रावधानों पर ऐतराज था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सभी सांसदों ने महिला और बच्चे की गरिमा का ध्यान रखने के लिए अपनी बात सदन में कही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाने के लिए यह विधेयक लाया गया है। नड्डा ने कहा कि यह बिल भी इन चिंताओं के अनुरूप भी बनाया गया है। भारत कमर्शियल सरोगेसी का हब बन चुका है। सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को कई तरह के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। नया कानून बनने के बाद उत्पीड़न पर रोक लग सकेगी।विश्व की 5वीं सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है भारत : आईएमएफतृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि समलैंगिकों को भी सरोगेसी की इजाज़त मिलनी चाहिए। वहीं, अपना फिगर बिगड़ने की चिंता में सेलिब्रिटीज द्वारा कराई जाने वाली ‘फैशन सरोगेसी’ पर रोक लगनी चाहिए। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सिंगल पैरेंट सरोगेसी का इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए बिल में प्रावधान किए जाने चाहिए।बता दें, पिछले कुछ साल से भारत को ‘सरोगेसी हब’ कहा जाने लगा था, क्योंकि यहां कम खर्च में किराए की कोख मिल जाती थी। रूरल और ट्राइबल महिलाओं का खास तौर पर शोषण हो रहा था। सरोगेसी से ज्यादातर अमीर लोग ही संतान सुख हासिल कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमीर लोग आईवीएफ सेंटरों को 20 से 50 लाख रुपए तक देते हैं। लेकिन किराए पर कोख देने वाली महिलाओं को 40 से 50 हजार रुपए ही मिलते हैं। अनुमान है कि भारत में करीब 2 हजार सरोगेसी क्लिनिक चल रहे हैं। यूएस, ब्रिटेन, नेपाल, थाईलैंड जैसे कई देश सरोगेसी को गैरकानूनी करार दे चुके हैं।नज़र डालिए –1) सिर्फ वे कपल्स सरोगेसी करा पाएंगे जो किसी कारण से माता-पिता नहीं बन सकते।2) ऐसे कपल्स जिन्हें शादी के पांच साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ हो।3) सरोगेट मदर का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी है। वह एक ही बार सरोगेट मदर बन सकती है।4) सरोगेट मदर और उससे संतान चाह रहे कपल को सक्षम अधिकारी से एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट लेना होगा।
घंटे भर के बहस के बाद सरोगेसी विधेयक पारित
Uday Sarvodaya | 20 Dec 2018 6:27 AM GMT
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Updated : 20 Dec 2018 6:27 AM GMT
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