अशवनी राणा
2 अक्टूबर 1975 को सरकार ने बैंकिंग सुविधाएँ गांव गांव तक पहुँचाने के लियें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना का उदेश्य ग्रामीण गरीबों को ऋण और बैंकिंग सुविधाएँ प्रदान करना था, जिसमें इन बैंकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का बहुत बड़ा योगदान है।
आज यह ग्रामीण बैंक ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में बैंकिंग सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं । ग्रामीण बैंक जहाँ एक और मनरेगा श्रमिकों का वेतन वितरण करने का काम करते हैं, वहीं लॉकर, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाईल बैंकिंग, नेट बैंकिंग की सुविधाएँ और सरकार की सभी योजनाओं को भी ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं ।
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शुरू में इनकी संख्या 5 थी जो बढ़कर 196 हो गई थी। आज देशभर के 26 राज्यों और 3 केन्द्र्शासित प्रदेशों में 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक काम कर रहे हैं जिनकी 22000 शाखाएं हैं। देशभर में इन बैंकों के 28 करोड़ से ज्यादा जमाकर्ता और 3 करोड़ ऋण लेने वाले ग्राहक हैं । इसके लिए भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में संरचनात्मक सुधारों को व्यवहारिक और उपयुक्त आधार पर बनाने के लिए रोडमैप सुझाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था जिसने सरकार को कई सुझाव दिए हैं उनमें से एक प्रमुख सुझाव के अनुसार इन बैंकों को और मजबूती प्रदान करने के लिए एक राज्य में एक ग्रामीण बैंक बनाया जाये, जिस पर सरकार काम कर रही है और जल्दी ही इसको लागू कर दिया जाएगा।ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार की 50%, राज्य सरकारों की 15% और स्पोंसर बैंकों की 35% की हिस्सेदारी है ।
वॉयस ऑफ़ बैंकिंग का सुझाव है कि यदि इन सभी ग्रामीण बैंकों को मिलाकर National Rural Bank of India बना दिया जाए तो एक बड़ा और सशक्त बैंक भी बन जाएगा और सुचारू रूप से देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपना योगदान कर सकेगा ।
लेखक वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर हैं