नई दिल्ली, 13 फ़रवरी ( प्रेस विज्ञप्ति), आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की इतिहास सोसायटी, दास्तान ने 13 और 14 फरवरी 2025 को अपने वार्षिक उत्सव, क्लियो कॉलिंग 2025: रूहानियत का सफलतापूर्वक आयोजन किया। रहस्यवाद की थीम पर केंद्रित इस उत्सव में सूफीवाद और भक्ति की आध्यात्मिक परंपराओं का जश्न मनाया गया।
उत्सव के पहले दिन पद्मश्री प्रो. अख्तरुल वासे ने “सूफीवाद – उत्पत्ति, इतिहास, विरासत और प्रासंगिकता” पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। प्रो. सूफियों के गुणों पर चर्चा की, और तसव्वुफ़ और इस्लाम के साझा मूल्यों पर प्रकाश डाला। प्रोफ़ेसर वासे ने कहा कि भारत में आप को हर प्रकार के मौसम फूल धर्म लोग और परंपराएं मिलती हैं। भारत की विविधता ही भारत को पूरी दुनिया से अलग बनाती है। बाद में उन्हों ने विद्यार्थियों के मन में उठने वाले प्रश्नों के उत्तर दिए और कहा कि केवल एक ओर के वक्तव्य से कुछ नहीं होता। एक टीचर होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि मैं संवाद करूं और विषय से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दूं। उन्होंने भारत में सूफ़ी परंपरा के साथ साथ भक्ति की आध्यात्मिक परंपरा पर भी प्रकाश डाला। व्याख्यान के बाद भी अध्यापक तथा विद्यार्थी प्रोफ़ेसर वासे को घेरे रहे और उनके विचारों पर चर्चा करते रहे।
प्राचार्य प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा ने वरिष्ठ संकाय और छात्रों के साथ प्रोफ़ेसर अख्तरूल वासे का स्वागत करते हुए शिक्षा जगत में ऐसे विषयों की खोज के महत्व पर जोर दिया।
रूहानियत की अगली कड़ी में तरंगिनी के सहयोग से संध्या में एक शानदार मुशायरा हुआ जिस में प्रोफ़ेसर रहमान मुसव्विर, प्रोफ़ेसर इफ़्त ज़र्रीन, शाहिद अंजुम और अमरोहा से आए डॉक्टर नासिर अमरोहवी ने श्रोताओं को अपनी शायरी के जादू में जकड़ लिया।
दूसरे दिन रूहानियत में “मुसाबिका” (क्विज़ प्रतियोगिता), “मुज़ाक्रा” (द्विभाषी वाद-विवाद) और “तस्वीर मेनिया” (पोस्टर-मेकिंग) जैसे रोमांचक कार्यक्रम हुए। 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ क्लियो कॉलिंग 2025 एक शानदार सफलता थी जो रहस्यवाद की दुनिया में एक अनूठा और समृद्ध अनुभव प्रदान करती है। यह उत्सव रहस्यवाद के कालातीत सार की जीवंत खोज थी जिसने सभी पर एक अमिट छाप छोड़ी।