Author: Uday Sarvodaya

संजय सक्सेना भारतीय जनता पार्टी (BJP) भारत की सबसे बड़ी और सबसे संगठित राजनीतिक पार्टियों में से एक है। अनुशासन, संगठनात्मक ढांचा और विचारधारा की स्पष्टता इसके प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में यह प्रवृत्ति देखी गई है कि जब पार्टी के किसी नेता पर विवाद खड़ा होता है, तो पार्टी उनसे सार्वजनिक रूप से दूरी बना लेती है या उन्हें पद से हटाने में देर नहीं करती। यह परिपाटी कई बार यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर विवाद के समय बीजेपी अपने ही नेताओं का साथ क्यों छोड़ देती है,बीजेपी आलाकमान का मुसीबत के…

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निर्मल रानी कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी देश विदेश में कहीं भी बोलते हैं तो उनके एक एक शब्द पर सत्ताधारी दल के नेताओं के कान लगे होते हैं। शायद भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रधानमंत्री के भाषण को भी इतने ग़ौर से न सुनते हों जितने कि राहुल गाँधी व सांसद प्रियंका गाँधी व सोनिया गाँधी के भाषण सुने जाते हों। ज़ाहिर है लगभग 11 वर्ष तक केंद्र में सरकार चलाने के बावजूद चूँकि अभी भी नेहरू गाँधी परिवार वर्तमान सत्ता को सीधे तौर पर चुनौती दे रहा है और संसद से लेकर सड़कों तक सत्ता से ऐसे…

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गुड़गांव। जितेंद्र श्रीवास्तव, आईएएस, ने 22 अप्रैल 2025 को आरईसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के रूप में पदभार ग्रहण किया है। 18 अप्रैल 2025 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने बिहार कैडर (2000 बैच) के आईएएस अधिकारी श्रीवास्तव को आरईसी का सीएमडी नियुक्त किया। यह नियुक्ति विद्युत मंत्रालय के तहत भारत सरकार के अपर सचिव के पद और वेतन पर की गई है। श्री श्रीवास्तव एक अनुभवी सिविल सेवक हैं, जिन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक विशिष्ट सेवा की है। पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने भारत सरकार और बिहार सरकार में कई प्रमुख प्रशासनिक और नेतृत्वकारी…

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ललित गर्ग कला जीवन को रचनात्मक, सृजनात्मक, नवीन और आनंदमय बनाने की साधना है। कला के बिना जीवन का आनंद फीका अधूरा है। कला केवल एक भौतिक वस्तु नहीं है जिसे कोई बनाता है बल्कि यह एक भावना है जो कलाकारों और उन लोगों को खुशी और आनंद देती है जो इसकी गहराई को समझते हैं। कला अति सूक्ष्म, संवेदनशील और कोमल है, जो अपनी गति के साथ मस्तिष्क को भी कोमल और सूक्ष्म बना देती है। हम जो कुछ भी करते हैं उसके पीछे एक कला छिपी होती है। कला का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व है।…

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अवनीश कुमार गुप्ता भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण राष्ट्र में महिलाओं की सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी एक ऐसा विषय है। जो न केवल सामाजिक संरचना की गहराई को उजागर करता है, बल्कि आर्थिक प्रगति और सांस्कृतिक परिवर्तन की संभावनाओं को भी तार्किक रूप से विश्लेषित करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां संख्याओं के साथ-साथ सामाजिक मानदंडों, नीतिगत ढांचे और ऐतिहासिक संदर्भों का सूक्ष्म विश्लेषण आवश्यक हो जाता है। यदि हम भारत-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाएं, तो यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं की भागीदारी केवल कार्यबल में उनकी उपस्थिति तक सीमित नहीं है,…

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निर्मल रानी गत वर्ष मेरा एक लेख पूर्व ‘चतुर ही नहीं बल्कि शातिर भी हैं बाबा रामदेव’ शीर्षक के साथ उस समय प्रकाशित हुआ था जब रामदेव व उनके व्यवसायिक सहयोगी बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले एक दवा विज्ञापन मामले में सर्वोच्च न्यायालय में बिना शर्त अपनी ग़लती की माफ़ी मांगी थी । उस समय ‘पतंजलि वेलनेस’ ने एक विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसके माध्यम से एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर ग़लतफ़हमियां’ फैलाने का आरोप लगाया गया था। इसी विज्ञापन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में…

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अजय कुमार अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी कोलोसल बायोसाइंसेस ने विज्ञान की दुनिया में ऐसा प्रयोग कर दिखाया है, जो अब तक सिर्फ कल्पना का विषय माना जाता था। कंपनी का दावा है कि उसने करीब 12,500 साल पहले विलुप्त हो चुकी डायर वुल्फ (Dire wolf) प्रजाति को वापस धरती पर लाने में सफलता हासिल कर ली है। इस प्रोजेक्ट को न केवल विज्ञान के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, बल्कि यह नैतिकता, पारिस्थितिकी और जैव विविधता से जुड़े बड़े सवालों को भी जन्म दे रहा है। तीन वुल्फ पपीज रोमुलस, रेमुस और खलीसी का जन्म कराकर…

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प्रियंका सौरभ भारत में सरकारी स्कूल सामाजिक समानता और शिक्षा के अधिकार के प्रतीक हैं, लेकिन बजट कटौती, ढांचागत कमी और शिक्षकों की अनुपलब्धता ने इनकी साख गिराई है। हरियाणा इसका ताजा उदाहरण है, जहाँ 2022 में 292 स्कूल बंद हुए, और 2024 में 800 और स्कूलों को बंद करने की योजना है। सरकारें नामांकन की कमी को आधार बनाकर स्कूल बंद कर रही हैं, लेकिन इसकी असली वजह व्यवस्थागत लापरवाही है। स्कूलों को बंद करने के बजाय उनका पुनर्निर्माण, शिक्षक भर्ती, आधारभूत ढांचे में सुधार और सामाजिक भागीदारी के ज़रिए मजबूत किया जाना चाहिए। दिल्ली का मॉडल इस दिशा में…

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तनवीर जाफ़री नक़ली और मिलावटी वस्तुओं यहाँ तक कि मिलावटी खाद्य सामग्री,नक़ली जीवन रक्षक दवाइयां,ज़हरीले फल व सब्ज़ियाँ,मिलावटी घी,पनीर,दूध,खोया,मिलावटी मिठाइयां,मिलावटी मसालों जैसी अनेक चीज़ों का कारोबार हमारे देश में दशकों से बेरोकटोक होता आ रहा है। और न जाने कितने लोग ऐसी खाद्य वस्तुओं के सेवन से मौत की गोद में भी समा चुके हैं। जब कभी ऐसा कोई नेटवर्क क़ानून की गिरफ़्त में आता है तो उसकी ख़बरें भी प्रकाशित होती हैं। परन्तु ऐसी नक़ली और मिलावटी वस्तुओं के उत्पादक,निर्माता,वितरक व विक्रेताओं के विरुद्ध सरकार व प्रशासन क्या और कितनी कार्रवाई करता है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया…

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सम्भल. मायावती से लेकर अखिलेश यादव शासनकाल तक जब बड़े बड़े दिग्गज सनातन की बात करने से कतराते थे तब सम्भल में सनातन की बागडोर सम्हालने में संघ और भाजपा संगठन की तरफ से सिर्फ एक ही नाम आगे था और वो था सिंघल परिवार का. भाजपा के सशक्त चेहरे के रूप मे राजेश सिंघल जमीनी तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं का संबल बढ़ा रहे थे तो सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हुए उनके भाई कपिल सिंघल अपने भाई का संबल. जानकार बताते हैं कि कपिल सिंघल का अपना तरीका सम्भल मे हिन्दुत्व को जिंदा रखने और उसकी…

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