Author: Vijay Garg

विजय गर्ग सर्वोच्च न्यायालय ने दो साल पहले दिल्ली समेत महानगरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के चलते पटाखे छुड़ाने के बजाय मिठाइयां खाकर दिवाली मनाने की सलाह दी थी। अच्छे हलवाई की दूध- खोए की मिठाइयां अब सात सौ रुपए किलो से ऊपर ही मिल रही हैं। सबसे ज्यादा और स्वादिष्ट मिठाइयां दूध से ही बनती हैं। समय का कैसा उलटफेर है कि एक जमाने में पटाखों पर कोई रोक-टोक नहीं थी, जबकि दूध और दुग्ध पदार्थों पर नियंत्रण रखा जाता था । इस हद तक कि 1970 के दशक में देश के कई राज्यों में दूध पर पहरा…

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विजय गर्ग किसी सफल प्रोफेशनल करियर की नींव तैयार करने में बेहतर अकादमिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ इंटर्नशिप की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इससे आपकी न केवल करियर ग्रोथ बेहतर होती है, बल्कि आपका रेज्यूमे भी आकर्षक बनता है, जो कारपोरेट दुनिया में प्रवेश के लिए बहुत ही आवश्यक है। किसी प्रोफेशनल कोर्स को पूरा करने के बाद जब आप इंटर्नशिप करते हैं तो इससे आपको वास्तविक दुनिया का अनुभव प्राप्त होता है। साथ ही कौशल को निखारने और नेटवर्किंग का मौका भी मिलता है, जो आपके बेहतर भविष्य की नींव तैयार करता है। इसे भी पढ़ें ⇒चाह को मिली…

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विजय गर्ग भारत में हृदय रोग जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन गया है और इस रोग के कारण मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ते शहरीकरण, सुस्त जीवन शैली, गलत खानपान, शारीरिक श्रम के अभाव और तनाव के कारण हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। दो दशक में हृदय रोगों के मामले काफी बढ़े हैं। हाल के वर्षों में युवाओं में इसका असर बढ़ा है। विवाह समारोहों में नाचते-गाते युवाओं की अचानक मौत हर किसी को चिंता में डाल रही है। इसे भी पढ़ें ⇒जहरीली होती हवा से गहराता सांसों…

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विजय गर्ग इसके तहत पटाखों और अन्य प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं से दूरी बनाकर डिजिटल माध्यम और साधनों के साथ दिवाली मनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। ये कॉन्सेप्ट खासतौर पर उस समय सामने आया जब कोविड-19 महामारी के कारण सामाजिक दूरी बनाए रखना आवश्यक हो गया था। लेकिन अब यह विचार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक स्थायी कदम माना जा रहा है। डिजिटल उपकरणों के माध्यम से त्योहार को किफायती और सुविधाजनक रूप से मनाया जा सकता है। डिजिटल दिवाली एक स्वस्थ, पर्यावरण-हितैषी और आधुनिक तरीके से पर्व मनाने का तरीका है। इसे भी पढ़ें ⇒कांग्रेस…

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विजय गर्ग जलवायु संकट दिनोंदिन गहरा रहा है। हर वर्ष गर्मी कुछ बढ़ी हुई दर्ज होने लगी है। वैश्विक ताप और इससे जुड़े हर आंकड़े लगातार बढ़ते संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। जलवायु संकट से निपटने के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों और उन्हें हासिल करने के लिए किए रहे प्रयासों के बीच बहुत बड़ा अंतर है, जो अब और बढ़ रहा है। वायुमंडल में पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने वाली गैसों की मात्रा चरम पर है। ब्लूमबर्ग के आनलाइन आंकड़ों के मुताबिक अभी वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड का ग्राफ 421.44 पीपीएम तक जा पहुंचा है, जो पृथ्वी…

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विजय गर्ग उम्मीद है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) नीट यूजी 2025 परीक्षा ऑफलाइन मोड में आयोजित करेगी। 2024 नीट परीक्षा में करीब 24.5 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। हालाँकि, नीट युजी 2025 के लिए आवेदकों की संख्या बढ़ने की संभावना है, जिससे प्रतिस्पर्धा और भी कठिन हो जाएगी। इसे भी पढ़ें ⇒उप चुनाव में बीजेपी-सपा फ्रंट पर तो कांग्रेस को अखिलेश का सहारा नीट युजी 2024 में कदाचार और पेपर लीक के दावों सहित कई विवादों के बाद, छात्र अनिश्चित हैं कि नीट युजी 2025 परीक्षा पैटर्न में बदलाव होंगे या नहीं। इन मुद्दों ने परीक्षा प्रक्रिया की…

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विजय गर्ग सरला का बेटा चौथी कक्षा में पढ़ता है और कामकाजी मां होने के कारण हर कोई उसे यही सलाह देता है कि उसे एक ट्यूटर लगा लेना चाहिए ताकि उसका लोड कम हो और बच्चे की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया जा सकते। लेकिन सरला ने फैसला किया है कि कम से कम 10 वीं तक तो वह ट्यूटर नहीं लगाना चाहेगी जब तक कि वह खुद बच्चे के विषयों को पढ़ा सकती है। इसे भी पढ़ें ⇒नीट 2025 की तैयारी: घर बैठे ऑनलाइन शिक्षा के साथ सफलता की कुंजी सुबह 10 से रात 6 बजे तक…

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विजय गर्ग जैसे-जैसे नीट 2025 परीक्षा नजदीक आ रही है, कई इच्छुक मेडिकल छात्र अपने घरों में आराम से बैठकर कड़ी तैयारी कर रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा के उदय के साथ, उम्मीदवारों के पास अब प्रभावी स्व-अध्ययन सुनिश्चित करने के लिए ढेर सारे संसाधन और उपकरण हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के साथ घर पर नीट 2025 की तैयारी कैसे करें, इस पर एक व्यापक मार्गदर्शिका यहां दी गई है 1. नीट 2025 सिलेबस को समझें: तैयारी में उतरने से पहले, नीट 2025 पाठ्यक्रम से खुद को परिचित कर लें। भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान में शामिल विषयों को समझें, और प्रत्येक…

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विजय गर्ग गरबा डांडिया, नवरात्रि, रामलीला, दशहरा, दीपावली – देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग अंदाज में यह जश्न का मौसम होता है। इतना ही नहीं, यह तो सिर्फ ट्रेलर है, क्योंकि फिर दीपावली से बढ़ते हुए क्रिसमस और नए साल तक का पूरा वक्त त्योहारी मौसम या फेस्टिव सीजन कहलाता है। परंपरा है कि भारत के ज्यादातर त्योहार किसी न किसी तरह फसल से जुड़े होते हैं, यानी यह जश्न सिर्फ शहरों का नहीं, गांवों का या पूरे भारत का भी होता है। इसे भी पढ़ें ⇒गरीबी के शर्म के कलंक को धोना होगा बात सिर्फ घर-परिवार तक सीमित…

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विजय गर्ग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खराब वायु गुणवत्ता को दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा बताया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के प्रयोग समेत अन्य कारणों से बाहर की तुलना में भवनों के अंदर की हवा अधिक खराब होती जा रही है। शहरों में लोगों का अधिकांश समय भी चहारदीवारी में ही बीत रहा है। जितना समय वे बाहर रहते भी हैं, उसमें हर वक्त स्वच्छ हवा नहीं मिलती है। अभी बंद परिसर में स्वच्छ हवा के लिए अलग-अलग एयर प्यूरीफायर का प्रयोग हो रहा है, लेकिन अमेरिका के बिंगहैमटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इससे आगे…

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