विनायक राजहंस
नई दिल्ली: कोरोना के इस कठिन दौर में जीवन मुश्किल तो हो चला है, पर चल रहा है। लोग एक दूसरे से साक्षात तो नहीं मिल पा रहे हैं पर संवाद के विविध माध्यमों से संपर्क बनाए हुए हैं। एक दूसरे से बात कर रहे हैं। जीवन के इस जद्दोजहद में राष्ट्रीय पत्रिका ‘उदय सर्वोदय’ और ‘अभिमंच’ एक ऐसा मंच लेकर आए, जिस पर देश के चर्चित कवियों ने अपनी रचनाएँ श्रोताओं के बीच रखीं।
रविवार (5 जुलाई) को शाम 4 बजे ‘उदय सर्वोदय’ और ‘अभिमंच’ के सौजन्य से आयोजितइस लाइव कवि सम्मेलन में नित्यानन्द तिवारी, डॉ गुरविंदर बंगा, डॉ धनंजय जोशी, कुलदीप मक्कड़,दिलदार देहलवी, डॉ उमेश पाठक, मयंक राजेश, डॉ अनुराधा पाण्डेय और प्रशंसा पँवार ने कविताएं पढ़ीं।
इस कवि सम्मेलनको ‘उदय सर्वोदय’ के फेसबुक पेज पर लाइव किया गया, जिसकी विविधरंगीकविताओं का आनंद श्रोताओं ने लिया। कवि सम्मेलन की शुरूआत डॉ उमेश पाठक ने अपनी कविताओंसे की। उन्होने पढ़ा-
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई,
कि कागज की नाव मुझ पर कैसे चल गई।
सम्मेलन का समापन डॉ गुरविंदर बंगा ने इन शब्दों से किया-
भूख, गरीबी, मायूसी औ बेकारी का मतलब,
आखिर तुम कब समझोगे लाचारी का मतलब।
कार्यक्रम का संचालन नित्यानन्द तिवारी ने किया। अंत में उन्होने सभी आमंत्रित कवियों का आभार व्यक्त किया।