डॉ अजहर अंसारी
आज भारत में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां, ट्रैवल्स कंपनियां, पांच सितारा होटल और आईटी कंपनियां विदेशी भाषा के अच्छे जानकारों की खोज में हैं। एमबीए और बीबीए की पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी छात्रों को एक विदेशी भाषा सिखाने का प्रचलन जोरों पर है। इनमें अरबी, फ्रेंच, स्पैनिशन, इटैलियन, जर्मन, रशियन, फारसी, जापानी और कोरियन जैसी भाषाएं प्रमुख हैं। इन संस्थानों में भी शिक्षकों की अच्छी खासी मांग है।
पर्यटन, टूर एंड ट्रेवल्स के क्षेत्र में अभी भले ही ज्यादा मौके नहीं हैं, लेकिन मेडिकल टूरिज्म के तहत खाडी के देशों के निवासी हर साल यहां निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। इन्हें उचित तरीके से मार्गदर्शन के लिए विदेशी भाषा के विशेषज्ञ की जरुरत पडती है। अब इससे भी बड़ी बात यह है कि विभिन्न देशों के अपने क्लाइंट्स को अपने साथ जोड़े रखने की चुनौती इन बड़ी-बडी कंपनियों के साथ खड़ी हो गई है। इसके लिए उन्हें विदेशी भाषा के जानकारों का सहारा लेना पड़ रहा है। खास बात यह है की ट्रांसलेटर के पेशे में हर अल्फाज (शब्द) की कीमत अदा होती है ।
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वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद और पत्र पत्रिकाओं का संपादन भी ऐसे लोगों के लिए निजी व्यवसाय के रूप में काम करने का मौका दे रहा है। विदेशी भाषाओं के जानकार विदेशी मीडिया में भारत से ही रिपोर्टिंग का काम संभाल रहे हैं। इधर मेक इन इंडिया ने इस प्रक्रिया को और बढ़ावा दिया है। विदेशी कंपनियां भारत में अपने बेस आॅफिस स्थापित कर रही हैं। ऐसी बहुत कंपनियां हैं जो अंग्रेजी की अपेक्षा अपनी भाषा में ही कार्य करने को प्राथमिकता देते हैं। उन कंपनियों के अधिकारियों को भारतीय समकक्षों के साथ बात करने में भाषाई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए विदेशी भाषाओं के साथ ही साथ ही तकनीकी एक्सपर्टीज होना भी जरूरी हो गया है।
शैक्षणिक योग्यता
कोई भी भाषा सीखने के लिए कोई विशेष शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। आप 12वीं के बाद भी पढ़ाई कर सकते हैं औ यूनिवर्सिटी स्तर के बाद भी।
स्किल: इस क्षेत्र में आने वाले छात्र को संबंधित विदेशी भाषा पर कमांड होनी चाहिए। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल इस क्षेत्र में कामयाबी के कई रास्ते दिखाती है। अगर अनुवादक बनना चाहते हैं तो विदेशी भाषा के साथ साथ अंग्रेजी या हिन्दी पर भी पकड होनी चाहिए। जिस विदेशी भाषा को सीख रहे हैं उसका व्याकरण, वाक्य संरचना और उससे जुडी संस्कृति व इतिहास की भी जानकारी होनी चाहिए। आकर्षक व्यक्तित्व भी होना चाहिए क्योंकि कई जगहों पर इसकी अपेक्षा भी की जाती है।
अगर टूरिज्म के क्षेत्र में जाना है या आतिथ्य सत्कार या विदेशी प्रतिनिधियों के साथ भ्रमण पर जाना है तो छात्र को मिलनसार होना भी जरूरी है। इसके साथ ही व्यक्ति का तकनीकी रूप से सक्षम होना भी अनिवार्य है।
कैसी जॉब्स होगी
फॉरेन सर्विसेज: फ्रेंच, जर्मन और रश्नि भाषाओं में मास्टर्स करने वाले व्यक्ति संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस या आईएफएस बन सकते हैं। इसके साथ ही अब विभिन्न मल्टी नेशनल कंपनियां अपने यहां अलग अलग भाषाओं के जानकारों को रख रही हैं।
टीचिंग: टीचिंग भी एक बेहतरीन जॉब आॅप्शन हो सकता है। कई निजी एवं उच्च शिक्षण संस्थान फॉरेन लेंग्वेज में कोर्स करवाते हैं। यहां आप लेंग्वेज टीचर के रूप में काम कर सकते हैं। आप चाहें तो पार्ट टाइम भी इन संस्थानों में टीचिंग कर सकते हैं। यहां भी आपको अच्छा वेतन मिल सकता है।
पर्यटन: पर्यटन विश्व का एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है। यहां भी मौके हैं।
इंटरप्रेटर: टेलीकॉन्फ्रेंसिंग या वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नोलॉजी आने से अब आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ उनकी भाषा में मीटिंग कर सकते हैं। इस तरह आप एक इंटरप्रेटर के तौर पर कार्य कर अच्छा वेतन हासिल कर सकते हैं। आप किसी सरकारी या बिजनेस डेलिगे-रु39यान का हिस्सा बन कर भी इंटरप्रेटर की भूमिका निभा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
लैंग्मा स्कूल ऑफ़ लैंग्वेज
दिल्ली विश्वविद्यालय
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा महाराष्ट्र
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वादालय हैदराबाद- तलेंगना
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पांडिचेरी
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद