सत्येन्द्र प्रकाश
बापू के भारत में, गोडसे नाज कर रहे हैं.
जिन्हें जेल में होना था वो राज कर रहे हैं.
महंगाई से तिल-तिल मरते, गांव-शहर के लोग
बंग-मणिपुर क्षीण हो रहा जड़ में सियासी रोग
वो अंधे- बहरे- गूंगे का अंदाज कर रहे हैं.
जिन्हें जेल में…..
बापू का सपना था भारत कर्मभूमि का रूप हो
ना कि यहां पर हिंसावादी भोगभूमि की धूप हो
उनके ही चश्मे से उन पर गाज कर रहे हैं.
जिन्हें जेल में……..
चश्मा, नाम, परिधान से बापू खुश तो नहीं होंगे
महिला-हिंसा अपमान पे गांधी, रो ही रहे होंगे
बलात्कारियों के सिर पे वो ताज धर रहे हैं.
जिन्हें जेल में………
‘ईश्वर-अल्ला एक ही हैं,’ समझाइश थी बापू की
एकजुट हों, फौलाद बनें ये ख्वाहिश थी बापू की
दुखद है, दोनों ही पैनी तलवार कर रहे हैं.
जिन्हें जेल में………
स्वराज्य के मायने थे, सबका हक हो, बराबर हिस्सा हो
धन-श्रम-धर्म-जाति हो कोई,पर जीवन सब एक-सा हो
बापू को मूर्ति बना वे उल्टा काज कर रहे हैं.
जिन्हें जेल में………
मानव-प्रेम, देश-प्रेम को बापू, अलग नहीं रखते थे
राष्ट्रप्रेमी ही जग-प्रेमी हो सकता, लिखते, कहते थे
राष्ट्रवाद में धरम घोल विषबाज बन रहे हैं.
जिन्हें जेल में…