-राष्ट्रीय संगोष्ठी में याद किए गए प्रख्यात शायर और साहित्यकार कैसरूल जाफरी
-नूरउल्ला रोड स्थित नवाब गार्डन में सजी महफिल में रचनाधर्मिता और व्यक्त्वि पर चर्चा
प्रयागराज: दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है, हम भी पागल हो जाएंगे ऐसा लगता है, दुनिया भर की यादें हमसे मिलने आती हैं, शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है। ऐसी अमर रचनाओं के शायर कैसरूल जाफरी की याद में बीते पखवारे राष्ट्रीय संगाष्ठी का आयोजन किया गया। प्रयागराज में नूरउल्ला रोड स्थित गार्डन में आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों आए शायरों, साहित्यकारों और समाज के विभिन्न वर्गों से जुडे लोगों ने मरहूम शायर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम संयोजक मो. सलीम अलीग ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का परिचय कराया। केरल के शायर के.पी. शम्सउद्दीन ने कहा कि ऐसे वक्त में जब अदब की लौ कम हो रही हो, लाइब्रेरी में ताले और जालों का राज हो , कैसरूल जाफरी की शायरी हमें सुकून देती है। यह हर साहित्यकार के वंशजों का दायित्व है कि वह परिवार के प्रख्यात शख्यिसतों की विरासतों को आगे बढाए। पंश्चिम बंगाल के एम नसरूल्ला नसर ने कहा कि जीवन की संवेदना को उठाने में शायर कैसर जाफरी का कोई जवाब नहीं था।
जौनपुर के इरफान चौधरी ने कहा अदब महसूस करने वाली चीज है, मरहूम शायर ने इसे हद की उंचाईयों तक आगे बढाया। जबलपुर के सलीम अंसारी ने कहा शायर कलीम कैसर की शायरी पर किसी पंथ या ख्याल का असर नहीं था। उनके जज्बात तरक्की पसंद तहरीक के विचारांे से बिल्कुल जुदा थे। उनका शेरी मिजाज गजल की अहमियत को लोगों तक पहुंचाना था।
सुहैल अंजुम ने भी उनकी प्रतिनिधि रचनाओं को वर्तमान परिदृष्य के साथ जोडा। मजहर आलम मजहरी ने जाफरी साहब का कलाम महज फिल्मी दुनिया के लिए ही नहीं बल्कि अदब की तारीख में अमर है। बीएचयू के डा. मो. कासिम अंसारी ने कहा कलीम कैसर की शायरी महज भारत ही नहीं बल्कि एशिया के अधिकतर मुल्कों मील का पत्थर है। रचनाकारों की नई पौध आज भी उनके कलाम से प्रेरणा लेकर आगे बढ रही है। संचालन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामियां के डा. जावेद हसन ने अदब और समाज के अंर्तसंबंधों पर कलीम कैसर के ख्यालों पर विस्तृत चर्चा की। तीन सत्रों के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बनारस हिंदू विवि के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी, इलाहाबाद विवि की अरबी फारसी विभाग की सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष प्रो. सालेहा रशीद और एनसीईआरटी नई दिल्ली के डा. परवेज शहरयार ने की। मुख्य अतिथि प्रख्यात शायर इरफान जॉफरी और समाजिक कार्यकर्ता फाजिल अंसारी रहे।
मानद अतिथि अलीगढ मुस्लिम विवि के प्रो, रेहान अख्तर कासमी और बीएचयू के डा. मो. कसिम अंसारी रहे। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से जुडे लागों को अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसमें प्रो, अली अहमद फातमी, डा. अहमद मकीन, मौलाना अहमद अमीन, असरार गांधी, तनवीर फरीदी, फाजिल अंसारी, मंसूर आलम, मो. शाहिद, सलमान अख्तर और मजीद मलिक आदि शामिल थे। दूसरे सत्र में मशायरे का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए शायरों ने अपने कलाम पेश किए। इस अवसर पर सलीम अंसारी, खुर्शीद हयात, सलीम कौसर, तनवीर फरीदी, फरमूद इलाहाबादी, डा. अजय मालवीय, एहसानउल्ला अंसारी, फहीम अहमद राई, सहित बडी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।