न्यूज़ डेस्क | हमारी जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हम घिसे-पिटे या ऐसे सवाल करते हैं जो हमें तो स्वाभाविक लगते हैं, लेकिन पहले से ही परेशान सामने वाले व्यक्ति को और अधिक परेशान कर देते हैं। ऐसी ही परिस्थितियों में से एक है माइग्रेन, जिसमें व्यक्ति अनचाहे सरदर्द के कारण पहले से ही परेशान होता है और हमारे सवालों की बौछार उसे राहत देने की बजाय काम को बिगाड़ ही देती हैं। माइग्रेन एक ऐसा रोग है जिसमें सरदर्द तो गाहे-बगाहे सामने आता ही है, कई बार यह दिन में तारे दिखने की कहावत को भी सही कर देता है। ऐसे वक्त में मरीज को बस बिना किसी शोर-शराबे के शांति के अलावा किसी और बात की तलाश नहीं होती।जब किसी व्यक्ति को माइग्रेन का अटैक आता है तो उसकी आवाज लड़खड़ाने लगती है, वह वक्त, दुनिया का होश गंवा देता है। कई बार हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि परीक्षा देते वक्त आप अपना नाम तक आंसर शीट पर लिखना भूल जाते हैं। बस आपके दिलोदिमाग में एक ही ख्वाहिश होती है कि किसी तरह से इस माइग्रेन अटैक से बाहर निकला जाए। माइग्रेन का असर सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है क्योंकि आपको माइग्रेन अटैक के डर से दोस्तों, परिजनों के साथ कहीं बाहर पार्टी के लिए जाने से साफ इनकार कर देना पड़ता है। आप देर रात तक जाग नहीं सकते और पार्टी की जान कहलाने वाला कान फोड़ने वाला संगीत आप जरा भी एंजॉय नहीं कर सकते। निश्चित तौर पर माइग्रेन के मरीजों की मदद उनके अपने दोस्तों, परिजनों द्वारा ही ज्यादा बेहतर तरीके से की जा सकती है। तो आइए आपको बताते हैं वह बातें जो आपको माइग्रेन के अटैक के शिकार व्यक्ति से बिल्कुल नहीं कहना चाहिए-
- हमेशा हो रहे हलके सर दर्द को अनदेखा ना करें
- सोते रहने की अजीब आदत
- बाहर जाकर मूड बदलने का सुझाव
- माईग्रेन के लक्षण
- माईग्रेन में एकतरफा सर दर्द होने की गलतफैमी