राज्य ब्यूरो
श्रीनगर: केंद्र शासितप्रदेश जम्मू और कश्मीर में COVID-19 की मृत्यु दर केवल 1.07 प्रतिशत है,जो भारत के राष्ट्रीय औसत से नीचे है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक 90 प्रतिशत से अधिक पॉज़िटिव केस वाले रोगीठीक हो गए हैं। वहीं मरने वालों में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है।
चिकित्साविशेषज्ञों का अनुमान है कि कोरोना वायरस ने पूरे जम्मू और कश्मीर में बहुत ज्यादा नुकसाननहीं किया है। कोरोना का प्रभावयहाँ कम है। 90 प्रतिशत से अधिकलोग इससे उबर चुके हैं। कश्मीर पहले से ही बहुत से विषाणुओं के संपर्क में है, जिन्होंने एंटीबॉडी विकसित कर ली हैं और क्रॉस सुरक्षा देरहे हैं।
एक समाचार एजेंसी सेबात करते हुए प्रसिद्ध फ़्लू विशेषज्ञ डॉ॰ निसार उल हसन, एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन जीएमसी श्रीनगर और जम्मू-कश्मीर, ने कहा कि इस कोरोना वायरस ने बहुत ही हल्का व्यवहार किया है, क्योंकि 90 प्रतिशत से अधिकसंक्रमित लोग अब तक ठीक हो चुके हैं और केवल 1.07 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
बक़ौल डॉ॰ हसन, इस वायरस ने यूरोप में तगड़ा अटैक किया है। हजारोंनौजवानों की मौत हो गई है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसका प्रभाव सामान्यहै। 96 से 97 प्रतिशत लोग स्पर्शोन्मुख या बहुत हल्केसंक्रमण वाले हैं।
“जम्मू-कश्मीर मेंकोई भी मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर नहीं है। केवल बुजुर्ग और गंभीर स्थिति वाले लोग ही मारे गए हैं, क्योंकि उनकीप्रतिरक्षा पहले से ही कमजोर थी और कोई भी वायरस उन पर हमला कर सकता है और मारसकता है। लेकिन यहाँ बहुत कम लोगों को गंभीर संक्रमण था।” उन्होंने कहा।
डॉ॰ निसार ने यह भी कहा कि यह वायरस राष्ट्रीय मृत्यु दर की तुलनामें अब भी बहुत कम व्यवहार कर रहा है। यह COVID-19 अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से व्यवहार करता है, लोगों और यहां तक कि समुदायों के साथ अलग तरहसे व्यवहार करता है। कम मृत्यु दर का कारण संभवतः कश्मीरियों के जीव विज्ञान से जुड़ा है, क्योंकियहाँ कोरोना वायरस सहित बहुत सारे वायरस पहले से ही मौजूद हैं। शायद यही कारण है कि हम एंटीबॉडी विकसितकर सकते हैं।