इन दिनों भारत प्रयागराज महाकुम्भ के आयोजन की वजह से पूरी दुनिया में खासी सुर्खियां बटोर रहा है. इस विशालतम आयोजन के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली में भी एक महाकुम्भ का आयोजन होने जा रहा है. इस महाकुम्भ में अखाड़ों का शक्ति प्रदर्शन नहीं होता है और न ही कोई पवित्र स्नान होता है. इस महाकुम्भ में बहती है ज्ञान की गंगा और साधुओं की परेड के स्थान पर एक छत के नीचे लाखों पुस्तकों का जमावड़ा होता है. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की इकाई नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया द्वारा नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला-2025 का आयोजन 1 से 9 फरवरी 2025 तक प्रगति मैदान में नवनिर्मित हॉल भारत मंडपम 2-6 (भूतल) में किया जा रहा है.
विश्व पुस्तक मेले की खासियत यह है कि यह वैश्विक स्तर का आयोजन है, जिसमें 40 से अधिक देशों के प्रकाशक भाग ले रहे हैं. मेले का विशेष आकर्षण है दो हजार से अधिक देशी-विदेशी प्रकाशकों/प्रदर्शकों के स्टॉल, छह सौ से अधिक इवेंट्स और नौ दिनों तक रोजाना ज्ञान गंगा में गोता लगाने को उत्सुक लाखों पुस्तक-प्रेमियों का जमघट. यह मेला हिन्दी साहित्य के लिए विशेष महत्व रखता है. मेले में दिग्गज प्रकाशन संस्थानों से लेकर उभरते हुए प्रकाशकों की सक्रिय भागीदारी होती है. एक तरफ जहां राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, प्रभात प्रकाशन, हिन्द युग्म, हंस प्रकाशन, पाखी प्रकाशन, किताब घर प्रकाशन, डायमंड पॉकेट बुक्स आदि जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह अपनी पुस्तकों को प्रदर्शित करते हैं तो दूसरी तरफ तेजी से प्रकाशन जगत में पहचान बना रहे स्वतंत्र प्रकाशन जैसे प्रकाशन संस्थान भी अपनी किताबों को लेकर मेले में आते हैं. गौरतलब है कि पिछले डेढ़ सालों में स्वतंत्र प्रकाशन ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन करके कीर्तिमान स्थापित किया है.
स्वतंत्र प्रकाशन ने वर्ष 2023 में आयोजित लखनऊ राष्ट्रीय पुस्तक मेले में मात्र तीन प्रकाशित किताबों के साथ शिरकत किया था. इस अल्पावधि में प्रकाशन ने 160 किताबों को प्रकाशित करके नए और प्रतिष्ठित रचनाकारों की पुस्तकों को पाठकों तक पहुंचाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है. स्वतंत्र प्रकाशन समूह नवोदित, युवाओं अथवा आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे लेखकों की चयनित पाण्डुलिपियों को ‘नि:शुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना’ के तहत प्रकाशित करता है, जिसमें पुस्तक के प्रकाशन एवं वितरण का सारा खर्च प्रकाशक द्वारा वहन किया जाता है. इस योजना की घोषणा मई महीने में की जाती है एवं पाण्डुलिपियों को भेजने की अंतिम तिथि (उसी वर्ष में) 30 अक्तूबर होती है. प्राप्त पाण्डुलिपियों को चयन समिति की अनुशंसा पर चयनित किया जाता है एवं रचनाकार से प्रकाशन हेतु बगैर कोई शुल्क लिये पुस्तक को प्रकाशित किया जाता है.
स्वतंत्र प्रकाशन के कर्ताधर्ता सुशील स्वतंत्र ने बताया कि नि:शुल्क प्रकाशन योजना के साथ जहां कुछ अन्य उत्साही प्रकाशन समाने आए हैं, वहीं आर्थिक मोर्चे पर कमजोर और युवा लेखकों के लिए यह अच्छा अवसर सा साबित हो रहा है. उन्होंने योजना पर प्रकाश डालते हुए आगे बताया कि ‘नि:शुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना’ में रचनाकार को अनुबंध के आधार पर लेखकीय प्रति(याँ) प्राप्त करने का अधिकार होता है. इसके अलावा लेखक अधिकतम विक्रय मूल्य पर 50% की विशेष छूट (आॅथर डिस्काउंट) पर अतिरिक्त प्रतियाँ (जिसमें डाकखर्च शामिल नहीं है) भी प्राप्त कर सकते हैं.