उदय सर्वोदय
नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव ने हाल ही में कोरोना के इलाज के लिए अपनी दवा 'कोरोनिल' पेश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी की मौजूदगी में इस दवा को लॉन्च किया गया। बाबा का दावा था कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी मिली है। जबकि, WHO ने साफ किया है कि उसने कोरोना की किसी भी पारंपरिक दवा को मंजूरी या सर्टिफिकेट नहीं दिया है।
पतंजलि या फिर कोरोनिल दवा का जिक्र किए बिना विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशियाई यूनिट ने ट्वीट किया है, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इलाज में किसी पारपंरिक दवा के प्रभाव को मंजूरी नहीं दी है।'
.@WHO has not reviewed or certified the effectiveness of any traditional medicine for the treatment #COVID19.
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) February 19, 2021
WHO का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बाबा रामदेव ने कोरोना की नई दवा लॉन्च करते हुए दवा किया था कि डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के मुताबिक भारत सरकार ने इसे मंजूरी दी है।
बाबा रामदेव ने कहा, 'साइंटिफिक रिसर्च एविडेंस पेश किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने इस दवा को मंजूरी दी है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर परमिशन दी गई है। अब हम इस दवा को दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में बेच सकते हैं।' उन्होने यह भी कहा कि जिन लोगों को कोरोना के इलाज के लिए दूसरी दवाएं नहीं मिल रही हैं, वे कोरोनिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बहरहाल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के ट्वीट के बाद से इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बाबा रामदेव ने कैसे मंजूरी का दावा किया है। यही नहीं यह मुद्दा ट्विटर पर भी काफी ट्रेंड हो रहा है।
बता दें कि बीते साल 23 जून को बाबा रामदेव ने पहली बार कोरोनिल को लॉन्च किया था, लेकिन इस पर काफी विवाद छिड़ा था और अंत में उन्होंने कहा था कि हमने कभी कोरोना के इलाज का दावा नहीं किया है बल्कि इसे इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। बाद में आयुष मंत्रालय ने भी कोरोनिल दवा को कोरोना मरीजों के लिए इम्युनिटी बूस्टर बताया था।