आवरण कथा ¦ विनायक राजहंस 6 सितंबर, 2018 की तारीख हिंदुस्तान लंबे समय तक याद रखेगा. खासतौर पर समलैंगिक समुदाय के लोग. इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को गलत करार दे दिया यानी समलैंगिक होना अब अपराध नहीं. यह फैसला देश के तमाम समलैंगिकों के लिए राहत लेकर आया. वे खुशी से झूम उठे. शहर के शहर इंद्रधनुषी झंडों से पट गए. उनके प्यार पर, उनके इश्क पर लगा पहरा हट गया. अब वे आजाद हैं. इस गजब इश्क में जो अजब रिस्क था, अब नहीं रह गया. हालांकि उनके रिश्ते को कानूनी मान्यता तो मिल गई, लेकिन सामाजिक मान्यता मिलनी अभी बाकी है. समाज इसे अभी स्वीकार नहीं कर पा रहा है, विभिन्न धर्म के नुमाइंदे इसकी मुखालफत कर रहे हैं. सरकार भी फिलहाल खामोश है. क्या है इस इश्क की कथा-पटकथा और कैसे हैं किरदार... इस बार की आवरण कथा में है पूरी पड़ताल.
6 सितंबर देश और दुनिया के इतिहास में विशेष मायने रखता है. 6 सितंबर 1965 को भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ा और उसमें भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी. 1901 में इसी तारीख को अमेरिका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैककिनले को न्यूयॉर्क में गोली मारी गई. 1929 में जाने-माने भारतीय फिल्मकार यश जौहर का जन्म हुआ. 1972 में हिंदुस्तासनी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अलाउद्दीन खान का निधन हुआ. 1997 में वेल्स की राजकुमारी डायना को ब्रिटेन और दुनिया ने अंतिम विदाई दी.1998 में मशहूर जापानी फिल्म निर्देशक अकीरा कुरासोवा का निधन हुआ. 2008 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ने मंजूरी दी... और 6 सितंबर 2018 को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म कर दिया. समलैंगिक होना अब अपराध नहीं. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने माना कि यौनेच्छा ‘प्राकृतिक और बुनियादी’ जैविक प्रक्रिया है, न कि किसी की इच्छा का मुद्दा.बहरहाल, इतिहास के इतने आंकड़े पेश करने का मकसद यह था कि इस दिन के महत्व को ऐसे समझा जाए. तारीखों की इस फेहरिश्त में एक और अहम बात दर्ज हो गई, जिसे देश लंबे समय तक याद रखेगा. इस फैसले के बाद देश और दुनिया में हर जगह, मानवाधिकार कार्यकर्ता, सेलिब्रिटी और समलैंगिक समुदाय के लोगों ने जमकर जश्न मनाया. भारत अब दुनिया का 126वां देश बन गया है, जहां समलैंगिकता कानूनी तौर पर मान्य है. हालांकि शीर्ष अदालत ने यह भी जोड़ा कि धारा 377 में प्रदत्त पशुओं और बच्चों से संबंधित अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने वाले प्रावधान यथावत रहेंगे. पशुओं के साथ किसी तरह की यौन क्रिया भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत दंडनीय अपराध बनी रहेगी. इस फैसले से जहां देश-दुनिया के समलैंगिक बेहद खुश हैं, सड़कों पर उतर कर जश्न मना रहे हैं, मिठाई बांट रहे हैं, नाच-गा रहे हैं, वहीं समाज और धर्म इस पर त्योरियां चढ़ा रहा है. समाज जहां इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा है, वहीं धर्मगुरुओं ने इस व्यवस्था पर आपत्ति जताई है.

