विवेक शुक्ला
लजीत दोसांझ की आवाज में एक खास तरह का जादू है जो सुनने वालों को मोहित करता है। उनके गीत बेहद विविध हैं, जिसमें रोमांटिक, उत्साहजनक, देशभक्ति और पारंपरिक पंजाबी गाने शामिल हैं। उनके हर गीत में एक अनोखा स्वाद होता है, जिससे दर्शक हर उम्र के होते हैं। दिलजीत की आवाज की शक्ति दर्शकों को मोहित करती है। उनके गीतों में प्रेम, दुख, उम्मीद और खुशी जैसे भावों का लाजवाब मिश्रण होता है।
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दिलजीत दोसांझ के गीतों और शखियसत का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। इसका सुबूत था जब उन्होंने पिछली 26 अक्तूबर को अपने दिल-लुमिनती टूर के भारतीय चरण की राजधानी दिल्ली में शुरूआत की। उनके कंसर्ट को देखने के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम खचाखच भरा था। जितना अंदर भरा था, उससे ज्यादा लोग स्टेडियम के बाहर किसी भी कीमत पर कंसर्ट का टिकट लेने के लिए खड़े थे। याद नहीं आता कि 1982 के एशियाई खेलों के लिए बने जवाहरलाल नेहरू स्टेडमयम में कभी किसी खेल या खिलाड़ी को देखने के लिए इतने दर्शक पहुंचे हों। दिलजीत ने कंसर्ट के दौरान अपने सिर पर भारतीय तिरंगा झंडा लहराया। ये देखते ही दृर्शक दिल-दिल की आवाजें लगाने लगे। उसके बाद वो छा गए। दिलजीत दोसांझ को जानने वाले कहते हैं कि वो बहुत ‘बिबा मुंडा’ यानी प्यारा बच्चा है। सफलता उसके सिर पर चढ़कर नहीं बोलती। उसके पैर जमीन पर हैं। उसमें फूकरापन (शेखी मारने वाला इंसान) नहीं आया। उसकी लोकप्रियता केवल उसकी मधुर आवाज की वजह से नहीं है, बल्कि उसकी गीतों की गहराई, भावना और उनके संगीत के प्रति समर्पण के कारण है। उनके ‘जट्ट पैदा होया छोन वास्दे’ (किसान पैदा होते ही छाने के लिए…) शब्दों को गौर करें। इसमें वे किसानों के एक तरह से हक में बोल रहे हैं। किस पॉप सिंगर ने उनसे पहले किसानों के हक में इतना सशक्त गीत गाया है। दिलजीत दोसांझ अपनी विनम्रता और जनता से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। वे अपने प्रशंसकों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं और उन्हें अक्सर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।
दिलजीत दोसांझ के कंसर्ट पंजाबी और गैर- संगीत प्रेमियों को समान रूप से पसंद आ रहे हैं। वे अपनी मां बोली पंजाबी की बीच-बीच में बात करते हुए कन्नड़, गुजराती, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति आदर का भाव दशार्ते हैं। उनमें कोई श्रेष्ठता भाव नहीं हैं। ये ही किसी स्टार में होना चाहिए। भाषाएं सब अपनी हैं। उनके प्रति सम्मान किसी भी इंसान को रखना ही चाहिए। दिलजीत अपने कंसर्ट में भरपूर ऊर्जा और उत्साह लेकर आते हैं। वो दर्शकों के साथ मेलजोल करते हुए, उनके साथ नाचते-गाते हैं, जिससे माहौल और भी जीवंत हो जाता है। उनकी स्टेज प्रेजेंस अद्भुत है, जिससे दर्शक उनके साथ पूरी तरह खो जाते हैं। आसा सिंह मस्ताना, सुरेन्द्र कौर और गुरुदास मान जैसे पंजाबी गायकों को जानने वाले पंजाबी के कवि जितेन्द्र सिंह साहनी कहते हैं कि दलजीत के गीतों में एक अद्भुत भावनात्मक गहराई होती है जो हर किसी को अपनी ओर खींचती है। चाहे प्यार, दर्द, दोस्ती या जीवन के अन्य पहलुओं के बारे में गाया जाए, उनके गीत मन को छूने वाले होते हैं। इसलिए वे सुरेन्द्र कौर और आसा सिंह मस्ताना की तरह से लोकप्रिय हो रहे हैं। सुरेन्द्र कौर के गाए ‘काला डोरिया कुंडे नाल..’ ‘लट्ठे दी चादर उत्ते सलेटी रंग माहिया.. ’ और ‘साड्डा चिड़िया दा चंबा रे असी उड़ जाणा रे’… जैसे गीतों को सुन-सुनकर पंजाबियों की कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं। सुरेन्द्र कौर के गीत हरेक पंजाबी परिवार में शादी ब्याह के मौके पर अनिवार्य रूप से गाए जाते हैं। ये सब पंजाब की धरती के अमर लोकगीत हैं। पंजाबी संगीत प्रेमियों को ‘कोठे ते आ माहिया, मिलना ता मिल..और ‘कोठे ते आ माहिया, मिलना ता मिल आके नई ते खसमा नूं खा माहिया.. ‘जैसे टप्पे भी बहुत पसंद आते रहे हैं। हाल के दौर में ‘दिल दा मामला’… और ‘कुड़ी पंजाबन दिल चुरा कर ले गई’। । जैसे गाने पंजाबी और गैर-पंजाबी गाते हैं। पर अब वक्त दिलजीत दोसांझ का है।
वे अपने दर्शकों से बहुत जुड़े हुए हैं। वह अपने शो में उनसे बातचीत करते हैं, उनके साथ सेल्फी लेते हैं और उनकी खुशी में शामिल होते हैं। यह जुड़ाव दर्शकों को अनुभव करने और कंसर्ट का आनंद लेने में मदद करता है। दिलजीत के कंसर्ट में बहुत ज्यादा उत्साह और खुशी का माहौल होता है। दर्शक नाचते-गाते हैं और अपनी खुशी का अनुभव करते हैं। यह माहौल दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव बनाता है। ये सब उनके दिल्ली के कार्यक्रम में देखा गया। दिलजीत के रूप में सिखों, पंजाब और पंजाबियों को ही एक बड़ा नायक ही नहीं मिला है। उनके कंसर्ट में पंजाबी संस्कृति का प्रचार भी होता है। उनके गीत और पोशाक पंजाबी संस्कृति को दशार्ते हैं, जो दर्शकों को इस संस्कृति से जुड़ने का मौका देते हैं। वे अपनी आवाज और गीतों के माध्यम से पंजाबी संगीत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा रहे हैं। पर इससे भी बड़ी बात ये है कि दिलजीत भारत के करोड़ों युवकों और संगीत के शैदाइयों को देने लगे हैं आनंद के लम्हें। वे अपने सुनने-देखने वालों में एक उम्मीद पैदा करते हैं। वे सिर्फ एक सिंगर नहीं हैं, बल्कि एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। उनके गीतों के माध्यम से वे युवाओं को प्रेरित करते हैं, उनके जीवन के संघर्षों और खुशियों को समझते हैं।
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दिलजीत दोसांझ अलग-अलग शैलियों के संगीत को अपने गायन में समाहित करते हैं। रोमांटिक, भावुक, पार्टी, पॉप-हर शैली में उनका गायन श्रोताओं को आकर्षित करता है। दिलजीत दोसांझ की मेहनत, प्रतिभा और श्रोताओं के साथ गहरे जुड़ाव का प्रमाण है। वे पंजाबी संगीत उद्योग में एक अनूठा कलाकार है जो उन्हें बाकी गायकों से अलग बनाता है। दिलजीत दोसांझ गायक के साथ-साथ संगीतकार, गीतकार और अभिनेता भी हैं। उन्हें विभिन्न शैलियों में गाना पसंद है, जिसमें लोक, पॉप, रोमांटिक और भांगड़ा शामिल हैं। यह बहुमुखी प्रतिभा उन्हें एक अद्वितीय कलाकार बनाती है।