मणिपुर कैडर के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में आरईसी के सीएमडी विवेक कुमार देवांगन ने अपनी उत्कृष्ट सेवाओं से एक विशेष पहचान बनाई है। श्री देवांगन ने एनआईटी भोपाल और आईआईटी दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की है और बतौर आईएएस अधिकारी कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में उनकी भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। उदय सर्वोदय के प्रबंध संपादक तबरेज खान के साथ ‘खास मुलाकात’ में श्री देवांगन ने आरईसी और भारत के ऊर्जा क्षेत्र में सरकार की योजनाओं पर चर्चा की, जो देश के भविष्य को एक नई दिशा देगी। प्रस्तुत है प्रमुख अंश।।
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सर, पहला सवाल यह है कि एक अधिकारी के रूप में आपको अपने करियर में सबसे अधिक चुनौती कहां मिली?
सबसे अधिक चुनौती मुझे मणिपुर में मिली, जहां मैंने 1993 में अपनी सर्विस जॉइन की थी। उस समय हालात बहुत खराब थे, कुछ झगड़े और संघर्ष भी चल रहे थे। लेकिन उस कठिन दौर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और आगे बढ़ने में मदद की।
आपके से आरईसी ज्वाइन करने के बाद एक सीएमडी के रूप में क्या नए बदलाव किए हैं?
आईसी पहले ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य गांवों में बिजली पहुंचाना था, और इसने गांवों में बिजली पहुंचाने का उल्लेखनीय काम किया है। साथ ही, 2 करोड़ 85 लाख घरों का विद्युतीकरण भी किया गया।
आज भी कई गांव बिजली से वंचित हैं। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
भारत सरकार इस दिशा में बहुत से काम कर रही है। व्यावसायिक नुकसानों को घटाकर 22 प्रतिशत से 15।8 प्रतिशत किया गया है। एक नया प्रस्ताव भी बनाया गया है, जिससे फएउ की कार्यक्षमता बढ़ेगी और हमारे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली मिल सकेगी।
गांवों में बिजली पहुंचाने में किन राज्यों में सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
दूरदराज के क्षेत्रों और रेगिस्तानी इलाकों में बिजली पहुंचाने में काफी कठिनाइयां आईं। लेकिन कंपनी और राज्य सरकारों के प्रयासों से हम सफल रहे। 2025 तक बिजली का बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा और विभिन्न तरीकों से आएगा।
ऊर्जा क्षेत्र में भारत विकसित देशों के मुकाबले कितना पीछे है?
प्रति व्यक्ति बिजली खपत के मामले में हम विकसित देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं। विकसित देशों में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत हमारे यहां की तुलना में 10 से 12 गुना अधिक है।
आरईसी के सीएमडी के रूप में जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौती से निपटने के लिए आपकी क्या योजना है?
आरईसी एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हम वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। हम ग्रीन एनर्जी की ओर भी बढ़ रहे हैं और इस दिशा में आगे और काम करेंगे।
आप अपनी दिनचर्या के बारे में हमारे दर्शकों को कुछ बताएं?
मैं सुबह करीब 5 बजे उठता हूं। योगा और मॉर्निंग वॉक करता हूं, जिसमें मैं 1 से 1।5 घंटा समय देता हूं। कुल मिलाकर, मैं फिट हूं।