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    डिजिटल अरेस्ट होता डिजिटल इंडिया!
    समाज

    डिजिटल अरेस्ट होता डिजिटल इंडिया!

    Md Asif RazaBy Md Asif RazaNovember 18, 2024Updated:November 18, 2024No Comments5 Mins Read
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    विजय शुक्ला

    भारत प्रतिभाओ का देश , सात समंदर पार या यूँ कहे दुनिया के हर बड़े मुल्क के रीढ़ की हड्डी बने भारतीय पुरोधाओं, सॉफ्टवेयर इंजीनियरो और उद्यमियों का देश अब विश्वगुरु की यात्रा पर निकाल दिया गया हैं और रोजाना आप एक से बढ़कर एक भाषण सुनेगे जिसमे भारत विश्वगुरु बनता दिखेगा या दिखाया जाएगा पर हकीकत में भारत फिर से कैद में हैं इस बार वाली कैद डिजिटल इंडिया की डिजिटल अरेस्ट की पीड़ा वाली हैं। जरा सोचिये जामतारा से लेकर ना जाने कौन सी कौन सी फिल्मे भारत के ऑनलाइन ठगी की दास्तान सुनाती दिखती हैं पर अब हकीकत में यह सब कुछ हो रहा हैं क्योकि आपके पास कर लो दुनिया मुट्ठी वाला यंत्र आया और दुनिया आपकी मुट्ठी में कैद हुई और आप हो गए उन डिजिटल माफियाओ की मुट्ठी में कैद जिसको अब डिजिटल अरेस्ट के नाम से जाना जाएगा और यह शब्द डीप फेक जैसा ही अब सियासी बन जाएगा। आलम यह हैं कि भारत में अब कभी डिजिटल अरेस्ट तो कभी निवेश और जॉब के नाम पर ठगी। आए दिन हजारों लोग जालसाजों की बातों में आकर अपनी मेहनत की कमाई गवां रहे हैं।

    इसे भी पढ़ें=एक उम्मीद जगाते दिलजीत दोसांझ

    आजकल डिजिटल अरेस्ट बेहद प्रचलन में है और हजारों लोग इसके शिकार हो चुके हैं। लोगों को जालसाज फोन करके कहते हैं कि वे चोरी या मनी लॉड्रिंग मामले में फंस गए हैं। उनकी ऑनलाइन पेशी होगी। जब लोग डर जाते हैं तो उनसे रकम मांगी जाती है। दिक्कत इस बात की हैं कि आजकल छोटे छोटे लोन माफियाओ ने डिजिटल चालान और सम्मन भेजकर अदालतों के और सुरक्षा एजेंसियों के बदलते रूप का फायदा उठा अपना अखिल खेलना शुरू कर दिया हैं। खेल भी कोई आम नहीं। हाल में मेरठ में पकड़ी गयी नकली एसओजी टीम हो या गुरुग्राम में पकड़ी गयी नकली ईडी की टीम या फिर गुजरात की नकली अदालत सब हमारी व्यवस्था को धता बताते हुए मौज उड़ा रही हैं ऐसे में सुरक्षा के उपाय कोई सोचे तो कैसे सोचे?

    आपको बता दे कि साइबर सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक जब भी ऐसा कोई फोन या ईमेल आए तो ध्यान दें कि सरकारी एजेंसियां कभी भी ऐसे प्लेटफार्म का उपयोग नहीं करती हैं। सबसे पहले संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करके उनकी पहचान सत्यापित करें। घबराएं नहीं, क्योंकि जालसाज लोगों के डर का ही फायदा उठाते हैं। खुद को शांत रखें और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें। दबाव में पैसे भेजने से बचें, क्योंकि कानूनी एजेंसियां तुरंत पैसे भेजने के लिए कभी भी दबाव नहीं डालती हैं। अगले पैतरे में आपको फसाने के लिए जालसाज ऐसे ईमेल और मेसेज बनाते हैं जो वैध लगते हैं। वह अक्सर बड़े ब्रांड के लोगो और ब्रांड का उपयोग करके लोगों को मेसेज करते हैं कि लॉटरी और पुरस्कार के तौर पर उन्होंने बड़ी राशि जीती है। इसके बाद पुरस्कार का दावा करने के लिए उन्हें प्रोसेसिंग शुल्क और करों का भुगतान करने के लिए कहा जाता है। इस दौरान जालसाज लोगों के लालच का फायदा उठाते हैं। यही नहीं अब डेटिंग और नौकरी के नाम पर झांसा देने वालो का खेल फल फूल रहा हैं। ऑनलाइन डेटिंग एप के जरिये भी लोगों को ठगा जाता है। जहां पहले पीड़ितों से भावनात्मक जुड़ाव किया जाता है और फिर मेडिकल मदद व इमरजेंसी की बात कहकर धन की मांग की जाती है। वहीं जॉब स्कैम में वैध भर्ती पोर्टल या सोशल मीडिया पर नकली भर्ती निकालकर युवाओं को ठगा जाता है।

    भारत में विश्वगुरु हर घर में पाए जा रहे हैं और उनको बिना काम किये मुनाफा कमाना हैं और सबको महादेव एप हो या अन्य कमाई के लिए निवेश के अलग संसाधन सब आसानी से आकर्षित करने के लिए काफी होते हैं। प्रचलित निवेश घोटाले में ठग पीड़ित की जल्दी पैसा कमाने की इच्छा का फायदा उठाते हैं अलग-अलग योजनाओं का नाम देकर बेहतर रिटर्न देने का वादा करते हैं। कैश-ऑन -डिलीवरी घोटाले में ठग सीओडी ऑर्डर स्वीकार करने वाले नकली ऑनलाइन स्टोर स्थापित करते हैं। जब प्रोडक्ट भेजा जाता है तो यह नकली होता है। तकनीकी सहायता घोटाले में साइबर अपराधी पीड़ित के तकनीकी ज्ञान की कमी का फायदा उठाकर कंप्यूटर में वायरस होने की बात कहकर पहुंचते हैं व डाटा चोरी कर लेते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर डिजिटल अरेस्ट इतना खास क्यों उसकी वजह साफ हैं कि एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों के चाहते प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात में डिजिटल अरेस्ट की बात समझा इसके मौजूदा समय में असर की तरफ इशारा किया हैं वो गंभीरता से सोचने और बचाव को अमल करने के लिए काफी हैं।

    इसे भी पढ़ें=दादी की रसोई जहां पांच रुपए में मिलता है गरीबों को भरपेट खाना

    ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साइबर अपराध से बचने के तरीके बताए थे। उन्होंने कहा था कि डिजिटल गिरफ्तारी के शिकार लोगों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग शामिल हैं। डर के कारण लोगों ने अपनी मेहनत से कमाए लाखों रुपए गंवा दिए हैं। अगर आपके पास भी कभी ऐसा कोई फोन आए तो आपको डरना नहीं चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह की पूछताछ नहीं करती है। कुल मिलाकर डिजिटल अरेस्ट आने वाले भारत के विश्वगुरु बनने की डिजिटल इच्छा को अरेस्ट करने जैसा हैं और जल्द ही हमारी सुरक्षा एजेंसियों को इसपर नकेल कसने के इंतजाम करने होंगे और उसके लिए जरुरी हैं डिजिटल अरेस्ट होने और उसके प्रभाव का इस्तेमाल कर पीड़ा पहुंचाने के उन सभी तंत्र को रेस्ट करवाना होगा जो इसके मुख्य कारक हैं। पर अब तो डिजिटल अरेस्ट भी सियासी बोल हो गया और सियासी होते ही यह मुद्दा चाय की दुकानों पर चर्चा में और ठगने के बाद परचा में नजर आना लाजिमी हैं।

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