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    क्या अब हमारे आदर्श हत्यारे, बलात्कारी व गुंडे मवाली हैं ?
    समाज

    क्या अब हमारे आदर्श हत्यारे, बलात्कारी व गुंडे मवाली हैं ?

    Nirmal RaniBy Nirmal RaniOctober 30, 2024Updated:October 30, 2024No Comments5 Mins Read
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    निर्मल रानी

    सदियों से हमारे देश में यह ज्ञान बांटा जाता रहा है कि किसी ज़माने में भारत ‘विश्व गुरु’ हुआ करता था। पिछले एक दशक से फिर यही चर्चा बलवती हो चुकी है कि भारत एक बार पुनः विश्व गुरु की राह पर अग्रसर है। बक़ौल प्रसिद्ध व्यंगकार सम्पत सरल, ‘हमारा भारत विश्व गुरु बनने के ‘आउटर’ पर खड़ा हुआ है’। परन्तु हमारा देश पहले जब कभी विश्वगुरु रहा होगा और अब जबकि एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की तैय्यारी में है, इस समय अंतराल में हम एक बहुत बड़ा अंतर भी देख रहे हैं। पहले जब कभी हमारे पूर्वज ‘विश्वगुरु भारत’ में सांस ले रहे होंगे उस समय हमारे आदर्श, हमारे प्रेरणास्रोत हमारे मार्गदर्शक निश्चित रूप से ऐसे अनेक महापुरुष भी रहे होंगे जो हमें आदर्श जीवन व्यतीत करने,चरित्रवान बनने,मानवीय मूल्यों का पालन करने,सद्भाव,सहयोग,सहायता जैसे मूल्यों को अपने जीवन में ढालने की प्रेरणा देते रहे होंगे। हमारे अनेक धार्मिक ग्रंथ इस तरह की धार्मिक,सामाजिक व मानवीय शिक्षाओं व निर्देशों से भी भरे पड़े हैं। हमारे देश का इतिहास ऐसे एक से बढ़कर एक बलिदानियों,त्यागियों,तपस्वियों,ऋषियोँ मुनियों संतों व पीरों फ़क़ीरों व आदर्श पुरुषों से पटा पड़ा है जिन्होंने अपने आचरण से देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का मार्ग दर्शन किया है।

    इसे भी पढ़ें ⇒गिरिराज सिंह की ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’: क्या बिहार में फिर से भड़केगा साम्प्रदायिकता का ज्वाला?

    परन्तु आज पुनः जब यह चर्चा चलती है कि ‘भारत एक बार फिर से विश्व गुरु होने जा रहा है’ ठीक उसी समय जब हम ‘विश्व गुरु पार्ट 2’ के दौर के अपने आज के आदर्शों,प्रेरणास्रोतों और मार्ग दर्शकों पर भी नज़र डालते हैं तो हमें कुछ और ही दृश्य दिखाई देता है। आज के दौर में पहले जैसे प्रेरणास्रोत महापुरुषों की तो ख़ैर कल्पना ही नहीं की जा सकती परन्तु उससे भी बड़ी त्रासदी यह है कि आज हमारे समाज का एक बड़ा वर्ग ख़ासकर युवा वर्ग ऐसे लोगों को अपना आदर्श मांनने लगा है या ऐसे लोगों से प्रेरित हो रहा है जो अपराधी हैं,हत्यारे व बलात्कारी हैं,गुंडे और मवाली प्रवृति के लोग हैं। और इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि अब समाज द्वारा किसी की अच्छाई बुराई या उसके पक्ष अथवा विपक्ष में खड़े होने या बोलने का निर्णय उसके धर्म सम्प्रदाय व जाति के अनुसार किया जाने लगा है।

    बिलकिस बानो मामले में दोषी ने गुजरात के दाहोद में भाजपा सांसद और विधायक के साथ मंच साझा किया

    गत एक दशक में भारत में ऐसी सैकड़ों मिसालें देखने को मिल जाएँगी जिसमें न केवल बड़ी भीड़ द्वारा बल्कि सत्ता के संरक्षण तक में हत्यारों का महिमामंडन किया गया है । बलात्कारियों,सामूहिक बलकार व सामूहिक हत्या के दोषियों को मान सम्मान दिया गया है। कहीं राज्यों द्वारा सरकारी स्तर पर ऐसे अपराधियों को जेल से रिहाई दिलाई गयी। सामूहिक बलकार व सामूहिक हत्या के दोषियों को रिहा करने की ग़रज़ से सरकार द्वारा ऐसे अपराधियों को ‘चरित्रवान ‘ होने का प्रमाणपत्र जारी किया गया। कहीं अपने राजनैतिक हित साधने के लिये बलात्कार व सामूहिक हत्या के ऐसे ही दोषी को ज़रुरत से ज़्यादा बार जेल से पेरोल पर रिहा किया गया। हद तो यह है कि केवल धर्म के आधार पर जम्मू कश्मीर में कठुआ की एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार करने व उसकी हत्या कर लाश जंगलों में फेंकने वाले लोगों के समर्थन में जम्मू कश्मीर सरकार के मंत्री व विधायक व पार्टी कार्यकर्त्ता तक जुलूस निकालते,धरना देते व तिरंगा यात्रा तक निकालते दिखाई दिये।

    हत्या के आरोपी शंभू लाल रेगर का रामनवमी रैली में महिमामंडन

    अब इन दिनों इसी अपराध पूर्ण प्रवृति में एक नया ट्रेंड दिखाई देने लगा है। पेशेवर अपराधियों व सरग़नाओं व गैंगस्टर का भी महिमामंडन किया जाने लगा है। जो अपराधी भारत से लेकर विदेशों तक जबरन पैसे वसूली के रैकेट चला रहे हैं वे अपने धर्म या जाति का चोला ओढ़कर स्वयं को अपने समाज के आदर्श पुरुष व प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित करने लगे हैं। और मज़े की बात तो यह है कि ऐसे अपराधियों को उनसे सम्बंधित समाज का ही नहीं बल्कि राजनीतिज्ञों का भी समर्थन हासिल हो रहा है। यह स्थिति अचानक पैदा नहीं हुई है बल्कि मात्र अपने राजनैतिक लाभ के लिये साम्प्रदायिक व जातिवादी ताक़तों द्वारा धीरे धीरे देश में ऐसा माहौल पैदा किया जा चुका है कि महापुरुषों के अभाव के वर्तमान दौर में आज हत्यारे बलात्कारी गुंडे व मवाली क़िस्म के लोगों को ही लोगअपना आदर्श मानने लगे हैं। साफ़ शब्दों में उनका चरित्र उनके अपराध से नहीं बल्कि उनके धर्म व जाति से तय किया जाने लगा है।

    हिंदुत्व का नया पोस्टर बॉय

    वैसे सच पूछिए तो यह स्थिति भारत में एक न एक दिन पैदा होनी ही थी। क्योंकि जब महात्मा गांधी के रूप में आज़ाद भारत में पहली राजनैतिक हत्या नाथू राम गोडसे द्वारा की गयी उसी समय से एक वर्ग विशेष गोडसे के समर्थन में भी खड़ा हो गया था। और उसी विचारधारा व मानसिकता के लोग आज तक गांधी को अपमानित करते व हत्यारे गोडसे का महिमामंडन करते आ रहे हैं। ज़ाहिर है किसी अपराधी व हत्यारे के महिमांडन की प्रवृति ने यही रूप लेना था जो आज हमें दिखाई दे रहा है। चाहे वह कठुआ में 8 वर्षीय आसिफ़ा के बलात्कारी व हत्यारे हों या राजस्थान का हत्यारा शम्भू रैगर, चाहे वे गुजरात में बिल्क़ीस बानो व उनके परिवार के हत्यारे व सामूहिक बलात्कारी हों या बनारस विश्वविद्यालय के बलात्कारी आई टी सेल के लोग या फिर इन जैसे और सैकड़ों उदाहरण,और अब पैसा वसूली करने वाले गैंगस्टर्स का किया जाने वाला महिमामंडन,निश्चित रूप से यह मिसालें हमें यह सोचने के लिए मजबूर करती हैं कि क्या अब हमारे आदर्श, हत्यारे बलात्कारी गुंडे मवाली व गैंगस्टर्स ही रह गये हैं ? और क्या भारत अब इन्हीं से प्रेरणा लेकर विश्वगुरु पार्ट 2 बनने की तैयारी कर रहा है ?

    #Contemporary Issues #Crime #Criminal Justice #Ethics #Global Leadership #HistoricalContext #Morality #politics #Role Models #Social Commentary #Social Values #Youth Culture INDIA
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    Nirmal Rani
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