जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सात नागरिकों की मौत के बाद से घाटी में तनाव है। इन नागरिकों के मारे जाने के विरोध में अलगाववादियों ने सोमवार को मार्च का ऐलान किया था। इसको लेकर श्रीनगर में प्रशासन ने क्फूर्य जैसा प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को हिरासत में ले लिया गया हैक्या नरेंद्र मोदी को “किसान विरोधी” बताना देशद्रोह है?पुलिस ने बताया कि यासीन मलिक को उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब वह शहर के सैन्य मुख्यालय तक के विरोध मार्च की अगुवाई कर रहे थे। मलिक ने समर्थकों के साथ गांव कदल से मार्च शुरू किया। जब वे मैसुमा में बादशाह चैक पहुंचे, पुलिस ने आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। अलगाववादी नेता, जो गिरफ्तारी से बचने के लिए दो दिन पहले भूमिगत हो गए थे, उन्हें फिर हिरासत में ले लिया गया और मार्च को रोक दिया गया। राम मुंशीबाग, रैनवाड़ी, खानयार, नौहट्टा, एम.आर.गंज, सफा कदल इलाकों में लगाने के साथ ही मैसुमा और क्रालखुद में आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। बंद को देखते हुए सोमवार को सभी दुकानें, सार्वजनिक परिवहन और शैक्षणिक संस्थान बंद रखे गए हैं। वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद रखा गया है। घाटी और जम्मू क्षेत्र में सोमवार को तीसरे दिन भी रेल सेवाएं बंद रहीं।सेना ने रविवार को एक बयान जारी कर लोगों से मार्च में शामिल नहीं होने का आग्रह किया था। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए श्रीनगर के पुराने शहर के इलाके और अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की भारी तैनाती की गई थी।कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सजागौरतलब है कि 15 दिसंबर को आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस मुठभेड़ में एक जवान भी शहीद हो गया। मठभेड़ की घटना के बाद इलाके में भींषण झड़प हुई। इस झड़प में 7 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 35 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
हिरासत में यासीन मलिक
Uday Sarvodaya | 18 Dec 2018 2:47 AM GMT
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Updated : 18 Dec 2018 2:47 AM GMT
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