दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव के मतदान का ट्रेंड देखें तो यहां करीबन 16 से 18 प्रतिशत मतदाता ऐसे होते हैं जो किसी भी पार्टी के समर्थक नहीं है. वह हवा का रुख देख कर मतदान करते हैं. आम आदमी पार्टी को स्विंग वाटरों की बदौलत दो बार भारी बहुमत मिल चुकी है. स्विंग वोटर का झुकाव जिधर होता है उसी की जीत तय होती है.
पांच फरवरी को होने वाले मतदान में सबसे बड़ी भूमिका इन फ्लोटिंग वोटरों की होगी. इनका झुकाव जिस तरफ होगा उसी पार्टी को जीत मिलेगी. चुनाव में करीब एक माह का समय बचा है. ऐसे में, सभी पार्टियों के दिग्गज नेता चुनावी मैदान में उतरकर अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने की योजना में जुटे हुए हैं. जेल जाने के चलते अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. उनके स्थान पर आतिशी मालेर्ना को 21 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री बनाया गया था. उसके बाद से आम आदमी पार्टी में बड़ी उठा-पटक मची हुई है. इसी के चलते पार्टी ने बड़ी संख्या में पुराने विधायकों की टिकट काटा है. दूसरे दलों से आने वाले दलबदलुओं को भी बड़ी संख्या में टिकट दिया गया है.
दिल्ली विधानसभा के चुनाव ने तो इंडिया गठबंधन की नींव तक हिला डाली है. जहां गठबंधन में शामिल कांग्रेस व आप आमने-सामने चुनाव लड़ने को ताल ठोक रहे हैं वहीं, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) के ‘आप’ की तरफ झुकाव का संकेत देकर मानो कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया है. ‘आप’ के लिए लगातार चौथी बार जीत का चौका लगाने का सुनहरा मौका है. वहीं भाजपा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अपनी सरकार बना कर डबल इंजन की सरकार का नारा सार्थक करने के लिए अपने सबसे बड़े स्टार प्रचारक पर दांव लगाने को तैयार है. कांग्रेस का भी प्रयास है कि कुछ सीट जीत कर अपनी खोई प्रतिष्ठा को फिर से हासिल किया जाए. बहरहाल, सभी दलों के लिए इस बार का चुनाव बड़ा ही रोमांचक व कड़ी टक्कर वाला होने जा रहा है. मगर दिल्ली का मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे दिल्ली की जनता चाहेगी.