मस्तिष्क-क्षरण कब होता है? जब हम जटिल विचारों, कठिन परिस्थितियों से बचते हुए ऐसा मनोरंजन या टाइम पास ढूंढने लगते हैं, जिसमें कोई दिमागी चुनौती शामिल नहीं होती. इसे टिक टॉक, रील या बच्चों के कार्टून वाला सतही मनोरंजन कहते हैं. इससे दिमाग में कूड़े का ढेर लग सकता है, कोई सकारात्मक या रचनात्मक विचार पैदा नहीं होता.
इस आदत को चिह्नित करने के लिए आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस डिक्शनरी में एक नया शब्द ब्रेन रॉट जोड़ा गया है. इसे आम भाषा में दिमाग में गोबर/कचरा/भुस भरा होना भी कह सकते हैं. यह शब्द सोशल मीडिया पर मौजूद निरर्थक सामग्री के अत्यधिक उपभोग से होने वाले बौद्धिक ह्रास का द्योतक है. आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी ने यह पाया कि बीते दो साल यानी 2023 और 2024 में इस शब्द का प्रयोग करीब ढाई गुना बढ़ गया है. अनुमान है कि आने वाले समय में यह प्रयोग और बढ़ेगा. यदि सामाजिक दृष्टि से देखें, तो यह शब्द आज के दौर की हकीकत को बयान कर रहा है. आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना के बाद से ही स्क्रीन टाइम में तीव्र निरंतर बढ़ोतरी हो रही है. इस स्क्रीन टाइम में ब्रेन रॉट की हिस्सेदारी बहुत व्यापक है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेन रॉट शब्द ने इस साल के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए अन्य शब्दों ‘डिम्योर’, ‘रोमांटैसी’, लोर, स्लूप और ‘डायनामिक प्राइसिंग’को पीछे छोड़ दिया है. ब्रेन रॉट कोई गढ़ा गया शब्द नहीं है. यह बहुत पहले से प्रयोग में मौजूद था, लेकिन इसका प्रयोग व्यापक रूप से नहीं होता था (जैसे कोरोना से पहले क्वारंटीन शब्द का प्रयोग केवल वैज्ञानिक गतिविधियों तक ही सीमित था). इस शब्द का संकेत 1854 में हेनरी डेविड थॉरो की किताब वाल्डेन में मिलता है. थॉरो ने जटिल विचारों के प्रति समाज की उदासीनता को ‘मानसिक पतन’ का कारण बताया था. जब कोई समाज बहुत सरलीकृत विचारों को प्राथमिकता देने लगता है और कठिन एवं जटिल परिस्थितियों से पीछे हटता है, तो वह ब्रेन रॉट की स्थिति में आता है. इसे महाभारत में कृष्ण-अर्जुन संवाद (गीता उपदेश) के संदर्भ में देखें, तो स्पष्ट है कि अर्जुन कठिन स्थितियों से भाग रहा है, लेकिन भगवान कृष्ण उसे वैचारिक और परिस्थितिजन्य जटिलताओं से रूबरू कराते हैं. इस कठिन विमर्श से ही अर्जुन के भीतर वैचारिक स्पष्टता पैदा होती है.
सोशल मीडिया के मौजूदा दौर में ब्रेन रॉट ने केवल जेनरेशन मिलेनियल्स और जनरेशन अल्फा ही नहीं, बल्कि बुजुर्ग हो चुके बेबी बूमर्स और बुजुर्ग होने की दहलीज पर खड़े जेनरेशन एक्स को भी अपनी चपेट में ले लिया है.जेनरेशन अल्फा ने तो अपनी पहली सांस ही ब्रेन रॉट के दौर में ली है. ये पीढ़ियां किसी खास मकसद के बिना ही सोशल मीडिया पर घंटों बिताती हैं. यूं तो ब्रेन रॉट जैसी किसी स्थिति का वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी भौतिक उपस्थिति को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है. मनुष्य द्वारा की जाने वाली कोई भी सकारात्मक या रचनात्मक गतिविधि उसे सार्थकता की अनुभूति कराती है, लेकिन सोशल मीडिया पर घंटों निरर्थक और सतही मनोरंजन में डूबे रहने के बाद एंग्जायटी का अहसास होता है. वस्तुत: यही ब्रेन रॉट है. यह शब्द डिजिटल दुनिया के प्रति हमारी स्वाभाविक नाराजगी को भी व्यक्त करता है. इस नाराजगी के संकेतों का उल्लेख आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी किया है.
इस शब्द के चयन के बाद आॅक्सफोर्ड लैंग्वेजेज के अध्यक्ष कैस्पर ग्रैथवॉल ने अपने बयान में कहा कि पिछले दो दशकों में वर्ड आॅफ द ईयर चयन में डिजिटल कल्चर का व्यापक प्रभाव दिख रहा है. ये शब्द हमारे वर्चुअल लाइफस्टाइल को भी दशार्ते हैं.
युवाल नोवा हरारी की निगाह से देखें, तो सोशल मीडिया ‘इंस्टेंट प्लेजर’ का प्रलोभन पैदा करता है और गंभीर अध्ययन, विवेचन एवं मंथन से दूर ले जाता है. सोशल मीडिया में सब कुछ 30 और 60 सेकंड की रील में सिमट रहा है. नई मीडिया तकनीक लोगों की अटेंशन को अपने आसपास सीमित रखना चाह रही है. वस्तुत: हरारी का यह कथन भी ब्रेन रॉट की ओर साफ संकेत है. हालांकि हरारी ने सीधे तौर पर ब्रेन रॉट का प्रयोग नहीं किया है.
ब्रेन रॉट के साथ अब उन शब्दों पर भी एक निगाह डाल लेते हैं, जो अन्य प्रमुख शब्दकोशों/संस्थाओं द्वारा चुने गए हैं या चर्चा में आए हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने वर्ड आॅफ द ईयर ‘मेनिफेस्ट’ चुना. यह शब्द सकारात्मक सोच के माध्यम से इच्छाओं को पूर्ण करने की प्रक्रिया को दशार्ता है, जबकि कॉलिंस डिक्शनरी ने ‘ब्रैट’ को चुना, जो ‘आत्मविश्वासी, स्वतंत्र और मजेदार व्यक्तित्व’ का प्रतीक है.
इस साल यानी 2024 में ‘माओरी हाका’ शब्द भी चर्चा में रहा है. यह एक पारंपरिक युद्ध नृत्य है, जो न्यूजीलैंड की मूल निवासी जनजाति से जुड़ा है. न्यूजीलैंड की युवा सांसद हाना मैपी-क्लार्क ने संसद में एक विधेयक के खिलाफ अपना विरोध जताते हुए पारंपरिक माओरी हाका डांस किया. इसके बाद यह शब्द चर्चा में आया. संभव है, वर्ष 2024 के लिए इस शब्द को भी अन्य वर्ड आॅफ द ईयर जैसा सम्मान और स्थान मिले.