Close Menu
Uday Sarvodaya
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Uday Sarvodaya
    • राजनीति
    • समाज
    • शख़्सियत
    • शिक्षा
    • सेहत
    • टूरिज्म
    • कॉर्पोरेट
    • साहित्य
    • Video
    • eMagazine
    Uday Sarvodaya
    खालिस्तानियों की खुशामद!
    मिसाल

    खालिस्तानियों की खुशामद!

    Md Asif RazaBy Md Asif RazaOctober 22, 2024No Comments4 Mins Read
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    पलकी शर्मा

    भारत और कनाडा के आपसी रिश्ते रसातल में जा चुके हैं। भारत ने कनाडा से अपने छह राजनयिकों को वापस बुला लिया है और भारत में तैनात छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। ऐसा लगता है कि कनाडा नया पाकिस्तान बनता जा रहा है। वह आतंकवादियों का समर्थन कर रहा है और उनके लिए भारत से लड़ाई कर रहा है।

    इसे भी पढ़ें ⇒बेगुसराय: मुस्लिम भाई सजाते हैं दुर्गा पूजा में मां का पंडाल

    इसके लिए केवल एक ही व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो। उनके राजनीतिक एजेंडे और अदूरदर्शिता ने दो देशों के परस्पर रिश्तों को जमींदोज कर दिया है। ट्रूडो उस हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर हंगामा कर रहे हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के साथ कनाडा में घुसा था, खुद कनाडा ने उसे नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया था, दर्जनों हत्याओं के मामलों में उसके खिलाफ इंटरपोल नोटिस जारी किए गए थे और भारत ने उसे आतंकवादी घोषित कर रखा था! कनाडा इस व्यक्ति के लिए लड़ने में इतनी मेहनत क्यों कर रहा है? कारण है, नासमझी, वोट-बैंक की राजनीति और वही पुराना पश्चिमी पाखंड। भारत को लेकर ट्रूडो की समझ की कमी तब पूरी तरह से उजागर हो गई, जब उन्होंने 2018 में अपने भारत-दौरे के दौरान एक खालिस्तानी को रात के खाने पर आमंत्रित किया। इसके बाद से हालात और खराब ही होते चले गए हैं।

    कनाडा के मतदाताओं में सिखों की संख्या 2% से अधिक है। 2021 के चुनाव में ट्रूडो की पार्टी ने संसद में अपना बहुमत खो दिया। उन्हें खालिस्तान-समर्थक जगमीत सिंह के रूप में गठबंधन-सहयोगी मिला। इसलिए अब वे खालिस्तानियों की खुशामद कर रहे हैं और निज्जर की हत्या का इस्तेमाल खुद को कनाडा के लोगों के रक्षक के रूप में पेश करने के अवसर के रूप में कर रहे हैं। लेकिन अब तो जगमीत ने भी ट्रूडो को छोड़ दिया है। उनकी सरकार मुश्किल में है। वे जनमत सर्वेक्षणों में बुरी तरह हार रहे हैं। उन्हें आंतरिक विद्रोह का भी सामना करना पड़ रहा है। कहा जाता है कि उनकी पार्टी के लगभग 20 सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें ट्रूडो को पद छोड़ने के लिए कहा गया है। इसलिए वे ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।

    दिलचस्प बात यह है कि कनाडा की खुफिया रिपोर्टों ने चीन पर ट्रूडो के पक्ष में चुनाव में दखल देने का आरोप लगाया था। क्या आपने ट्रूडो को इस बारे में बात करते सुना है? या क्या आपने किसी कनाडाई राजनेता को इस बारे में बात करते सुना है? निज्जर मामला एक अंतरराष्ट्रीय स्कैंडल बन गया, इसलिए चीन की दखलंदाजी आंखों से ओझल हो गई। इससे भी बुरी बात यह है कि कनाडा को अमेरिका जैसे सहयोगियों का समर्थन प्राप्त है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खालिस्तानियों का बचाव करते हैं। अमेरिका में ही गुरपतवंत सिंह पन्नू है, जो एक और खालिस्तानी आतंकवादी है और जिसका मकसद भारत को तोड़ना है। अमेरिका का दावा है कि भारत ने उसके खिलाफ भी हत्या की साजिश रची थी। नई दिल्ली इस मामले में जांच में अमेरिका का सहयोग कर रही है।

    अगर अमेरिकी एक घोषित आतंकवादी को सुरक्षित करने के लिए इतना प्रयास कर रहे हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर राष्ट्रपति पद के किसी उम्मीदवार को निशाना बनाया जाता तो वे एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे। पर हैरानी की बात है कि ऐसा नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प पर अमेरिका में ही तीन बार हत्या के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन वॉशिंगटन का पूरा ध्यान पन्नू को सुरक्षित करने पर है। यह भारत पर दबाव डालने के लिए पश्चिमी राजनीति की कवायदें हैं। हमेशा की तरह, वे खुद यह तय करना चाहते हैं कि कौन आतंकवादी है और कौन नहीं। क्यूबेक में राष्ट्रवादी लोग अलगाववादी हैं। लेबनान में हिजबुल्ला आतंकवादी हैं। यमन में हूती आतंकवादी हैं। लेकिन पश्चिम में खालिस्तानी आतंकवादी नहीं हैं। शायद ट्रूडो के मुताबिक वे अगले साल के नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार हैं!

    इसे भी पढ़ें ⇒जलती ‘पराली’, सुलगते सवाल

    लेकिन पश्चिमी देशों का दुर्भाग्य है कि अब दुनिया उनके द्वारा तय की गई परिभाषाओं को नहीं मानती। खासतौर पर भारत, जो जानता है कि ये पाखंड पश्चिम को भारी पड़ेगा। जब खालिस्तानी गिरोहों के निशाने पर पश्चिमी शहर और आम कनाडाई-अमेरिकी नागरिक आएंगे, तब उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा।
    उम्मीद है, तब तक बहुत देर नहीं हो चुकी होगी!

    हमेशा की तरह, पश्चिम खुद तय करना चाहता है कि कौन आतंकवादी है, कौन नहीं। क्यूबेक में राष्ट्रवादी लोग अलगाववादी हैं। लेबनान में हिजबुल्ला आतंकवादी हैं। यमन में हूती आतंकवादी हैं। पर खालिस्तानी आतंकवादी नहीं हैं!

    #canada #Flattery of Khalistanis #international scandal #Justin Trudeau #Khalistani terrorists #newdelhi #Pakistan #politics #Terrorist INDIA Modi
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Md Asif Raza
    • Website

    I am working as a Creative Designer and also manage social media platform.

    Related Posts

    12,500 साल बाद लौटा डायर वुल्फ विज्ञान की जीत या प्रकृति से खिलवाड़?

    April 14, 2025

    Eid: एक असाधारण उत्सव, जो खुशी की अनूठी पहचान है

    March 31, 2025

    महाकुंभ 2025 संपन्न

    February 27, 2025

    Comments are closed.

    Don't Miss
    कॉर्पोरेट

    मनोहर लाल ने यूपी में 1000 सीटों वाले ऑडिटोरियम की आधारशिला रखी

    By Uday SarvodayaMay 30, 20250

    सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश। केंद्रीय विद्युत, आवासन और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने उत्तर प्रदेश…

    पश्चिमी राजस्थान लोकसंस्कृति और पर्यटन का स्वर्णिम संसार

    May 21, 2025

    REC को वित्त वर्ष 2025 में ₹15,713 करोड़ का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ

    May 8, 2025

    देश में ऑनलाइन लूडो के बढ़ते खतरे पर कैसे लगेगी लगाम

    May 7, 2025
    Popular News

    2000 रुपये के नोट एक्सचेंज नियमों में बदलाव: अब तक बचे हुए नोट बदलने का समय बढ़ा, जानिए नए निर्देश

    January 8, 2024

    समय तय करेगा अयोध्या धाम किसको देगा फायदा कौन उठायेगा नुकसान

    January 1, 2024

    अति की हार

    June 6, 2024
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Contact Us
    © 2025 Powered by NM Media Solutions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.