Close Menu
Uday Sarvodaya
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Uday Sarvodaya
    • राजनीति
    • समाज
    • शख़्सियत
    • शिक्षा
    • सेहत
    • टूरिज्म
    • कॉर्पोरेट
    • साहित्य
    • Video
    • eMagazine
    Uday Sarvodaya
    बाल विवाह मुक्ति बेटियों को खुला आसमान देगा
    समाज

    बाल विवाह मुक्ति बेटियों को खुला आसमान देगा

    Lalit GargBy Lalit GargNovember 29, 2024No Comments7 Mins Read
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    ललित गर्ग

    देश में बाल विवाह की प्रथा को रोकने, बढ़ते बाल-विवाह से प्रभावित बच्चों के जीवन को इन त्रासद परम्परागत रूढ़ियों की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने के लिये सरकार ने बाल-विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करके एक सराहनीय एवं स्वागतयोग्य उपक्रम से हिम्मत और बदलाव की मिसाल कायम की है। यह एक शुभ संकेत एवं श्रेयस्कर जीवन की दिशा है। यह किसी समाज के लिये बेहद नकारात्मक टिप्पणी है कि सदियों के प्रयास के बावजूद वहां बाल विवाह की कुप्रथा विद्यमान है। यहां यह विचारणीय तथ्य है कि समाज में ऐसी प्रतिगामी सोच क्यों पनपती है? क्यों लोग परंपराओं के खूंटे से बंधकर अपने मासूस बच्चों एवं बचपन से खिलवाड़ करते हैं? हमें यह भी सोचना होगा कि कानून की कसौटी पर अस्वीकार्य होने के बावजूद बाल विवाह की परंपरा क्यों जारी है? ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत दूरगामी मानवीय सोच से जुड़ा एक संवेदनशील आह्वान एक नई सुबह की आहट एवं क्रांति के विस्फोट की संभावना है। यह अभियान सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक संकल्प है, एक रोशनी है, एक मंजिल है, एक सकारात्मक दिशा है। एक वादा है देशभर में बाल विवाह पर जागरूकता फैलाने और समाप्त करने का। यह नये भारत-सशक्त भारत की बुनियाद है। बाल विवाह रोकने के तमाम कार्यों, योजनाओं और कानूनों के बावजूद अगर कामयाबी नहीं मिल रही है, तो जाहिर है, एक विशेष अभियान छेड़कर केन्द्र सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है। यह राष्ट्रीय अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई प्रमुख योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की सफलता से प्रेरित है, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए लड़कियों के बीच शिक्षा, कौशल, उद्यम और उद्यमिता को बढ़ावा देने एवं बेटियों की आशाओं, आकांक्षाओं, संकल्पों से भरे सपनों की उड़ान को खुला आसमान देने में सक्षम होगा।

    इसे भी पढ़ें=भारत की पहली लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल

    यह सुखद बात है कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 2029 तब बाल विवाह की दर को पांच प्रतिशत से नीचे लाने के मकसद से विशेष कार्य योजना बनाने का आग्रह किया है। यह बचपन की मासूमियत छीनने वाली ‘बालविवाह’ की बेड़ियों को तोड़ते हुए जागृति का एक शंखनाद किया है, एक समाज-क्रांति के बीज को रोपा गया है। सभी जानते हैं कि कम आयु के बच्चे अपने भविष्य के जीवन के बारे में परिपक्व फैसला लेने में सक्षम नहीं होते। साथ ही वे इस स्थिति में भी नहीं होते कि उनके जीवन पर थोपे जा रहे फैसले का मुखर विरोध कर सकें। उनके सामने आर्थिक स्वावलंबन का भी प्रश्न होता है। लेकिन अभिभावक क्यों इस मामले में दूरदृष्टि नहीं रखते? सही मायने में बाल विवाह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ही है। इसीलिये बाल-विवाह पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि कानून परंपराओं से ऊपर है। कोर्ट का कथन तार्किक है कि जिन बच्चों की कम उम्र में शादी करा दी जाती है क्या वे इस मामले में तार्किक व परिपक्व सोच रखते हैं?

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी है कि यह समय की मांग है कि इस कानून को लागू करने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाए। इस बाबत उन समुदायों व धर्मों के लोगों को बताया जाना चाहिए कि बाल विवाह कराया जाना एक आत्मघाती कदम है। यह समझना कठिन नहीं है कि कम उम्र में विवाह कालांतर जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य के लिये भी घातक साबित होता है। उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती और वे अपनी आकांक्षाओं का कैरियर भी नहीं बना सकते। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कथन इस सामाजिक बुराई के उन्मूलन में मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। केंद्रीय मंत्री ने उचित ही कहा है कि बाल विवाह मानवधिकारों का उल्लंघन और कानून के तहत अपराध है। अच्छी बात है, सरकार ने अब एक तरह से मान लिया है कि कानून को जितना काम करना था, उसने किया इसके आगे अब विशेष अभियान की जरूरत है। बाल विवाह को रोकने के लिए अकेले कानून के भरोसे न बैठते हुए ठोस जागृति-अभियान की अपेक्षा है। अब सरकार ने इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिये कमर कसी है, तो उसका स्वागत होना चाहिए एवं इस अभियान को व्यापक रूप देना चाहिए।

    बाल विवाह की कुरीति को देश में व्यापकता से देखने को मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे खराब स्वरूप है। ठोस प्रयासों के बावजूद आज भी लगभग पांच में से एक लड़की का विवाह विधि सम्मत आयु 18 वर्ष से पहले कर दिया जाता है। किसी शहर में अगर एक विवाह सत्र में 1000 शादियां होती हैं, तो उनमें से 200 शादियों में दुल्हन की उम्र शादी लायक वैध नहीं होती। बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बुधवार को यह भी बताया कि पिछले एक साल में लगभग दो लाख बाल विवाह रोके गए हैं। मतलब, सामाजिक संस्थाएं और पुलिस काम तो कर रही हैं, पर मंजिल अभी दूर है। बाल विवाह की सर्वाधिक संख्या पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, राजस्थान, बिहार, झारखण्ड, असम और आंध्रप्रदेश में है। देश में 300 ऐसे जिले हैं, जहां बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। ऐसा लग रहा है, लोग बेटियों का जीवन तो बचा रहे हैं, प्राथमिक शिक्षा भी देने लगे हैं, पर उन्हें अधिक पढ़ाने और आगे बढ़ाने पर उनका ध्यान नहीं है। बेटियों की जब कम उम्र में शादी होती हैं तो श्रम बल के रूप में न केवल उनकी उत्पादकता, बल्कि देश की क्षमता पर भी असर पड़ता है।

    इसे भी पढ़ें=जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने वर्ष 2025 बैच के लिए प्लेसमेंट अभियान के पहले चरण का सफलतापूर्वक समापन किया

    बाल विवाह मुक्त भारत अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ की भविष्य दृष्टि से प्रेरित नये समाज की संरचना का दूरगामी प्रकल्प है। बच्चों पर बाल विवाह थोपना उनके अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का भी दमन है। भले ही मजबूरी में वे इस थोपे हुए विवाह के लिये राजी हो जाएं, लेकिन उसकी कसक जीवन पर्यंत बनी रहती है। जो उनके स्वाभाविक विकास में एक बड़ी बाधा बन जाता है। निश्चय ही इस बाबत बदलाव लाने के लिये कानून में जरूरी बदलाव लाने के साथ ही समाज में जागरूकता लाने की भी जरूरत है। इन सब दृष्टियों से यह अभियान सदियों से चली आ रही इस त्रासद परम्परा से मुक्ति का माध्यम बनेगा। पढ़ी-लिखी लड़की अगर विवाह-योग्य उम्र से ब्याही जाए, तो वह परिवार और समाज के लिए उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। कम उम्र में विवाह से न केवल संतानों की गुणवत्ता बल्कि परिवार की आर्थिक, सामाजिक और मनावैज्ञानिक क्षमता पर भी असर पड़ता है।संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बाल विवाह दर में सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक गिरावट दक्षिण एशियाई देशों में देखी गई है, जिसमें भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नए अभियान के अन्तर्गत इस परम्परागत विसंगति एवं विडम्बना को दूर करने के लिये व्यापक प्रयत्न किये जायेंगे। प्रारंभिक कार्ययोजना के अन्तर्गत बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल का भी शुभारंभ किया गया है। इस पोर्टल के जरिये बाल विवाह के विरोध में जागरूकता बढ़ाई जाएगी, बाल विवाह की शिकायत भी यहां दर्ज कराई जा सकती है एवं कार्य प्रगति की निगरानी भी की जाएगी। इस पोर्टल को सही ढंग से चलाया गया, गांवों और पंचायतों से जोड़ लिया गया, तो इसके सकारात्मक परिणाम आ सकते है। बाल विवाह मुक्त अभियान देश भर में युवा लड़कियों के सशक्तिकरण के सरकार के प्रयासों का प्रमाण है। यह प्रगतिशील और समतापूर्ण समाज सुनिश्चित कर हर बच्चे की क्षमता को पूर्णता से साकार करेगा। इस अभियान का संदेश 25 करोड़ नागरिकों तक पहुंचने की उम्मीद है। यह निर्विवाद है कि देश को विकसित बनाने के लिए महिलाओं की पूरी शक्ति का उपयोग जरूरी है और महिला शक्ति बढ़ाने के लिए बाल विवाह को रोकना ही होगा। आज सामाजिक सोच एवं ढांचे में परिवर्तन लाने की शुरुआत हो गयी है, इसमें सृजनशील सामाजिक संस्थाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण होगा। आवश्यकता है वे अपने सम्पूर्ण दायित्व के साथ आगे आये। अंधेरे को कोसने से बेहतर है, हम एक मोमबत्ती जलाएं।

    #Awareness #BetiBachaoBetiPadhao #ChildMarriage #ChildMarriageFreeIndia #EmpoweredIndia #EndChildMarriage #GovernmentCampaign #HumanRights #IndiaDevelopment #IndianGovernment #LegalReforms #SocialChange #SocialEvil #SoftLaws #SupremeCourt #WomenEmpowerment #WomenPower Education INDIA
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Lalit Garg
    • Website

    40 साल का अनुभव, स्वतंत्र लेखक, स्तंभकार, पत्रकार एवं समाजसेवी, बी. काम करने के बाद पत्रकारिता में डिग्री। अध्यक्ष- सुखी परिवार फाउण्डेशन, कार्यकारी अध्यक्ष- विद्या भारती स्कूल, सूर्यनगर, गाजियाबाद

    Related Posts

    देश में ऑनलाइन लूडो के बढ़ते खतरे पर कैसे लगेगी लगाम

    May 7, 2025

    इन्हें अपराध से नहीं बल्कि अपराधी के धर्म से नफ़रत है

    May 7, 2025

    भारत के लिये स्थाई सिरदर्द बन चुका आतंक पोषक पाकिस्तान

    April 28, 2025

    Comments are closed.

    Don't Miss
    कॉर्पोरेट

    REC को वित्त वर्ष 2025 में ₹15,713 करोड़ का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ

    By Uday SarvodayaMay 8, 20250

    नई दिल्ली, 8 मई 2025: सरकारी स्वामित्व वाली आरईसी लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024-25 के…

    देश में ऑनलाइन लूडो के बढ़ते खतरे पर कैसे लगेगी लगाम

    May 7, 2025

    इन्हें अपराध से नहीं बल्कि अपराधी के धर्म से नफ़रत है

    May 7, 2025

    मीट इन इंडिया कॉन्क्लेव रहेगी खास, 55 देशों के टूअर ऑपरेटर्स करेंगे शिरकत

    April 29, 2025
    Popular News

    2000 रुपये के नोट एक्सचेंज नियमों में बदलाव: अब तक बचे हुए नोट बदलने का समय बढ़ा, जानिए नए निर्देश

    January 8, 2024

    समय तय करेगा अयोध्या धाम किसको देगा फायदा कौन उठायेगा नुकसान

    January 1, 2024

    अति की हार

    June 6, 2024
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Contact Us
    © 2025 Powered by NM Media Solutions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.