सुनील कुमार महला
गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल और दिव्य और देवभूमि के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखंड हिमालय की प्राकृतिक छटाओं, वादियों अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विख्यात है और यहां पर अनेक स्थल दर्शनीय हैं। इन दर्शनीय स्थलों में से एक स्थल है -‘डीडीहाट’। वास्तव में डीडीहाट ‘अनसीन रिजन आफ उत्तराखंड ‘ है। शांतिपूर्ण प्रकृति के बीच बसा डीडीहाट सैर-सपाटे के लिए एक आदर्श स्थान है। सच तो यह है कि घने जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, घाटियां, दर्रे, घास के मैदान, नदी और ग्लेशियर से घिरा यह हिल्स स्टेशन किसी जन्नत से कम नहीं है।
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विविध वनस्पतियों, जंगली जानवरों/जीवों से समृद्ध तथा पवित्र कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा मार्ग पर स्थित डीडीहाट कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले/जनपद में स्थित है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जनपद देवभूमि उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला है और डीडीहाट एक तहसील मुख्यालय है जो 1850 मीटर (6070 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इसे उत्तराखंड का चैरापूंजी भी कहा जाता है। यदि आपको उत्तराखंड के किसी खूबसूरत हिल स्टेशन के साथ ग्रामीण माहौल, ग्रामीण परिवेश और हिमालय की प्राकृतिक छटाओं, वादियों के साथ ही सुकून, राहत और आनंद की तलाश है तो आपको डीडीहाट का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। जंगलों और पहाड़ों से होते हुए आप यहां ट्रेकिंग सफ़र का मज़ा उठा सकते हैं। हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डीडीहाट जनपद में आपको शांति, सुकून के साथ पर्यावरणीय नजारों को देखने का सुअवसर प्राप्त होगा। ठेठ पहाड़ों में आकर जो सुकून और चैन मिलता है उसका वास्तव में कोई भी सानी नहीं है और डीडीहाट में आकर हर किसी का मन बहल जाता है। यहां के मौसम के तो क्या कहने ?
इतिहास के झरोखों से डीडीहाट:
डीडीहाट ‘दिग्तार’ के पहाड़ी शीर्ष मैदान पर स्थित है और नीचे चरमगढ़ या भादिगाड़ नदी बहती है। डीडीहाट नाम दो कुमाउँनी शब्दों, ‘डांडी’ और ‘हाट’ से जुड़कर बना है, जिनका अर्थ क्रमशः ‘छोटी पहाड़ी’ और ‘बाजार’ होता है।उल्लेखनीय है कि डीडीहाट के नीचे की घाटी को ‘हाट’ नाम से जाना जाता है, यह बहुत ही उपजाऊ क्षेत्र है। वैसे डीडीहाट का इतिहास ठीक-ठाक पुराना है।वर्तमान डीडीहाट नगर ऐतिहासिक सीरा राज्य की राजधानी, सिरकोट के समीप बसा है। डीडीहाट नगर के पश्चिम में स्थित डिगताड़ के पास एक पर्वत चोटी पर सिरकोट किला था, जो सीरा के मल्ल राजाओं की राजधानी हुआ करता था। यहां प्राचीन मलयनाथ जी का मंदिर एक पहाड़ी पर काफी ऊंचाई पर स्थित है। कहते हैं कि मलय नाथ जी का मंदिर राइका/रीका राजा द्वारा बनवाया गया था। यहां सिराकोट मलयनाथ जी के मंदिर की वास्तुकला देखने योग्य है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।एक और प्रसिद्ध मंदिर नानपौपु गाँव की सबसे ऊँची पहाड़ी पर स्थित है जिसे देचुला के नाम से जाना जाता है।यह पूरा क्षेत्र नेपाल के दोती राजवंश के क्षेत्र में आता था। जानकारी मिलती है कि 1581 में चंद वंश के रूद्र चन्द्र ने दोती राजवंश के राइका को हरा दिया था और आज भी इस जगह पर कुछ पुराने किले और इमारतें बनी हुई मिल जाएंगी। यहां डोटी और चंद राजवंशों से संबंधित किलों और मंदिरों के कुछ खंडहर मिलते हैं। आजादी से पहले डीडीहाट संयुक्त अवध का हिस्सा था और अल्मोड़ा जिले में आता था। बाद में वर्ष 1960 में ये पिथौरागढ़ जिले में आ गया। वर्ष 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने डीडीहाट जिले को लेकर दीक्षित आयोग का गठन किया। बाद में वर्ष 2011 में इसे मुख्यमंत्री ने नया जिला घोषित किया लेकिन आधिकारिक मुहर अब तक नहीं लग पाई है। उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने डीडीहाट, रानीखेत, यमनोत्री, कोटद्वार को जिला बनाने की घोषणा की थी। 8 दिसंबर 2011 को इस संबंध में एक शासनादेश भी जारी किया गया, लेकिन गजट नोटिफिकेशन न होने के कारण नए जिले अस्तित्व में नहीं आ पाए।
प्रमुख दर्शनीय स्थल:-
यहां प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में डीडीहाट से लगभग 53 किमी दूर स्थित बेरीनाग नामक सुंदर पहाड़ी स्थान शामिल है। बेरीनाग सांपों के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। वहीं धारचूला ट्रांस-हिमालयी व्यापार मार्गों के लिए एक प्राचीन व्यापारिक शहर, यह बहुत ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और काली नदी के तट पर 915 मीटर (3,002 फीट) की ऊँचाई पर एक घाटी में स्थित है। काली भारत के साथ नेपाल की पश्चिमी सीमा है। मुनस्यारी भी नजदीक है जिसे पहले उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। मुनस्यारी हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों में बसा है, जो प्राकृतिक सुंदरता के शानदार नज़ारे पेश करता है। मुनस्यारी समुद्र तल से 2,298 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बागेश्वर भी नजदीक पड़ता है, जहां पर पिंडारी ग्लेशियर के लिए ट्रैकिंग मार्ग नंदा देवी अभयारण्य के दक्षिणी जंगल से होकर गुजरता है, जहां पंवाली द्वार (6683 मीटर) और मैकतोली (6803 मीटर) जैसी चोटियों के मनोरम और स्फूर्तिदायक दृश्य दिखाई देते हैं। पिथौरागढ़ तो नजदीक है ही, क्यों कि इसी जिले में डीडीहाट पड़ता है। पिथौरागढ़ को छोटा कश्मीर” के रूप में जाना जाता है,जो समुद्र तल से 1,650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। लोहावती नदी के नजदीक समुद्र तल से 1745 मीटर की ऊँचाई पर लोहाघाट स्थित है जहां उत्तराखंड के राज्य पुष्प रोडोडेंड्रोन बहुतायत में मिलते हैं। चौकोरी समुद्र तल से 2,010 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो कि चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है।
डीडीहाट तहसील में स्थित असकोट कस्तूरी मृग अभयारण्य भी यहाँ से देखा जा सकता है। साफ़ मौसम वाले दिनों में, बर्फ से ढ़की पंचाचूली और त्रिशूल चोटियों के विस्मयकारी दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। जौलजीबी, धारचूला, चौकोरी, छिपला केदार ट्रैक, मुनस्यारी भी यहां देखने लायक जगहें हैं। डीडीहाट के नजदीक लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव मिर्थी में आईटीबीपी का कैंप(सातवीं बटालियन) भी पहाड़ों के बीच स्थित है। डीडीहाट में एवं इसके आसपास स्थित स्थानों पर हाइकिंग,कैम्पिंग, पहाड़ी पर एडवेंचर व ग्रामीण जीवनशैली, यहां प्रचलित रीति-रिवाजों के साथ ही यहां की संस्कृति का आनंद बखूबी लिया जा सकता है। संस्कृतियों में यहां कुमाऊंनी संस्कृति को विशेष रूप से महसूस किया जा सकता है। पंचाचूली में बर्फ से ढ़़के हिमालय की चोटियों, यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त के मनोरम दृश्य हर किसी का ध्यान खींचते नजर आते हैं। प्राकृतिक फोटोग्राफी, विडियोग्राफी के लिए यह स्थान मनोरम और मनोरंजक है, यहां पहाड़ों के बीच धवल व काले- नीले बादलों के दृश्य वाकई मन और आत्मा को लुभाते हैं। यहां विभिन्न जंगली पक्षियों का अवलोकन किया जा सकता है। यहां बंदर आपको खूब देखने को मिल जाएंगे।
असकोट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी:
डीडीहाट में भ्रमण पर आने पर पर्यटकों को असकोट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी जरूर देखनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि असकोट नाम अस्सी कोट या अस्सी फोर्ट से लिया गया है जो नेपाल में स्थित है। ये भारत की सबसे खूबसूरत वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के लिए जानी जाती है, इसे भारत का ग्रीन पैराडाइज भी कहते हैं। समुद्र तल से 2 हजार फीट से 22,654 फीट की ऊँचाई पर स्थित ये सैंक्चुअरी 600 वर्ग किमी. में फैली हुई है। काली नदी सैंक्चुरी के बीच से बहती है , जो भारत और नेपाल को अलग करती है। यहाँ से आप नौकना, नेयोधुरा, छिपलाकोट और नजीरकोट जैसी चोटियों को देख पाएंगे।
नमिक ग्लेशियर/हिमनद:-
नमिक ग्लेशियर डीडीहाट से 30 किमी. दूरी पर समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह रामगंगा नदी के उद्गम पर स्थित है।नमिक ग्लेशियर चारों तरफ से नंदा देवी, त्रिशूल और नंद कोट चोटी से घिरा हुआ है। यहाँ पर बहुत सारे वाटरफाॅल/झरने भी हैं जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लगते हैं और बहुत से लोग यहां फोटोग्राफी करते हैं।
नारायण आश्रम:-
नारायण आश्रम धारचूला के कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत-नेपाल सीमा के रास्ते में पड़ता है। नारायण आश्रम हिमालय की चोटी पर बना है। इस प्राचीन आश्रम में योग ध्यान की कई गतिविधियों का संचालन किया जाता है। इसकी स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक, शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान आदि थे।
जौलजीबी:
जौलजीबी इंडो-नेपाल की सीमा पर बसा एक छोटा-सा कस्बा है। ये कस्बा डीडीहाट से लगभग 25-38 किमी. की दूरी पर है। यह काली और गोरी नदी के संगम पर बसा हुआ है। नदी किनारे दोनों देश में एक छोटा-सा बाजार लगता है। उसी बाजार को जौलजीबी के नाम से जाना जाता है। ये बाजार ही इस जगह को खास बनाता है। जौलजीबी में साल में एक व्यापार मेला भी होता है जो देखने लायक होता है। यहां नेपाल जाने हेतु एक हैंगिंग पुल भी स्थित है,जिसके नीचे नदियां बहतीं हैं।
अन्य स्थल :-
डीडीहाट से कुछ दूरी पर गंगोलीहाट भी यहां एक दर्शनीय स्थल हैं। वैसे कौसानी, बिनसर, चंपावत, रानीखेत भी दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। चौबाटी भी डीडीहाट के अंतर्गत आने वाला एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। डीडीहाट का आदिचौरा गांव मशहूर कुमाऊंनी हास्य कलाकार मंगल चौहान जी का गांव है। भड़गांव डीडीहाट क्षेत्र का एक खूबसूरत ठंडा गांव है। इतना ही नहीं, डीडीहाट के नजदीक ही चौबाटी जाने से पहले आगे भैसूड़ी गांव की एक ऊंची पहाड़ी पर जल देवी मंदिर भी है।
खेती-बाड़ी व पशुपालन:- यहां डीडीहाट में काफल,बांझ के पेड़ काफी मिलते हैं। काफल के फल खाने में बहुत अच्छे लगते हैं। यहां बीच बीच में सीढ़ीनुमा खेतों में धान, मंडुआ, गेहूं,आलू, ककड़ी (खीरा), हल्दी पैदा होती है जो आर्गेनिक फूड के रूप में इस्तेमाल की जाती है, क्यों कि यहां खेती में रसायनों, पेस्टीसाइड का उपयोग न के बराबर होता है। खेतीहर किसान आज भी यहां खेती बैलों से करते मिल जायेंगे। यहां के लोग गाय अधिक पालते हैं और बकरियां भी यहां मिलतीं हैं। लोग घरों में मुर्गियां भी पालते हैं।
डीडीहाट का क्या प्रसिद्ध है ?
यहां बनाई जाने वाली खेंचुवा मिठाई बहुत ही प्रसिद्ध है। वास्तव में यह कुमाऊं की सौगात है। यह मिठाई सिर्फ डीडीहाट में ही बनती है।दूध को काफी देर तक उबालकर, उसमें चीनी मिलाकर खेंचुवा तैयार किया जाता है। वास्तव में, खेंचुवा का तात्पर्य खिंचाव से है और जुबां पर एक बार इसका स्वाद घुल जाए तो फिर यह दिल और दिमाग दोनों में बस जाता है। बुजुर्ग बताते हैं कि 80 के दशक में देवीधुरा से आए नेगी परिवार ने डीडीहाट में खेंचुवा बनाना प्रारंभ किया था। वैसे तो पूरे डीडीहाट में यह मिठाई बनाई जाती है लेकिन नेगी जी की दुकान का खेंचुवा सबसे प्रसिद्ध है जिसकी डिमांड न केवल शादी-ब्याह में, पार्टियों में ही होती है बल्कि पिथौरागढ़ जिले से लेकर कुमाऊं, गढ़वाल और आजकल तो मैदानी इलाकों में भी खेंचुवा की काफी डिमांड है।
डीडीहाट में होटल व रिसॉर्ट्स:-
यहां केएमवीएन पर्यटक विश्राम गृह स्थित है।डीडीहाट पर्यटक विश्राम गृह का नाम सिराकोट है। जानकारी के अनुसार यह डीडीहाट की यात्रा के दौरान ठहरने के लिए एक बहुत ही किफायती और सबसे अच्छा विकल्प है। वैसे, यहां अन्य छोटे मोटे होटल भी स्थित हैं , जहां बड़े मेट्रो सीटीज की तरह कोई खास सुविधाएं तो पर्यटकों को नहीं मिल पाती हैं लेकिन किफायती दरों पर रहने ठहरने, खाने-पीने की आम सुविधाएं आसानी से मिल जातीं हैं।
कैसे पहुंचें ?
वैसे तो टनकपुर हाइवे से पिथौरागढ़ होते हुए मिर्थी गांव होते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इतना ही नहीं, काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी मिनी बसों, छोटी गाड़ियों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। अगर आप फ्लाइट से डीडीहाट जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर पड़ता है। पंतनगर एयरपोर्ट से डीडीहाट की दूरी 250 किमी. से थोड़ी अधिक है। यहाँ से आप बस और टैक्सी से डीडीहाट पहुँच सकते हैं। वहीं सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर लगभग 200 किमी. और काठगोदाम लगभग 230 किमी. की दूरी पर है। यहाँ से भी आप बस या टैक्सी से जा सकते हैं। अगर आप डीडीहाट वाया रोड जाना चाहते हैं तो पिथौरागढ़ तक तो आप बस से आराम से पहुँच सकते हैं।