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    वाइब्रेंट विलेज: विकास की दौड़ में महाराजगंज
    समाज

    वाइब्रेंट विलेज: विकास की दौड़ में महाराजगंज

    Tabrez KhanBy Tabrez KhanFebruary 18, 2025Updated:February 18, 2025No Comments6 Mins Read
    Darjiniya Taal
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    केंद्र सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24*7 बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुउद्देशीय केंद्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार कोशिश कर रही है। इसके अलावा, उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों के पुनर्गठन और उसके विकास के लिए भी सकारात्मक कार्य किया जा रहा है। ऐसी ही एक योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय संस्कृति और कला को विकसित करने, यातायात-आवागमन की सुविधा बढ़ाने तथा स्थानीयता को उभारने के लिए संचालित ‘वाइब्रेंट योजना’ के नाम से सीमावर्ती राज्यों की सरहदों पर स्थित जिले के 5-5 गावों का चयन कर हरसंभव विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। इस योजना की शुरूआत सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों से की गई थी। आज खुशी इस बात की है कि इस योजना के तहत महाराजगंज जिले के पांच गांवों का चयन किया गया है जिसे पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जायेगा और जो भारत-नेपाल सीमा से सटे हुए हैं और संवेदनशील भी हैं। इस योजना से अनूठी सांस्कृति को पहचान मिलेगी, जो आगे चल के दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी।

    दरअसल नेपाल से सटे महाराजगंज के इन गाँवों का चयन भी उन्हीं खूबियों को सामने लाने के लिए किया गया है। आप बखूबी जानते हैं कि यह जिला नेपाल से सटे होने के कारण कितना संवेदनशील व महत्वपूर्ण है। अत: यहां स्थानीयता को उभारकर, विकसित कर लोगों को रोजगारोन्मुख बनाना बेहद ही आवशयक है और यह तभी संभव है जब इनका बाहरी लोगों से गहरे ताल्लुकात स्थापित हों जो यातायात के साथ आधुनिक सुविधाओं का जाल बिछाये बिना संभव नहीं है। आप यह भी जानते हैं कि यहां लोक जीवन के सौन्दर्य के साथ ही भारत-नेपाल बॉर्डर से सटे सोहगीबरवा के जंगल, नारायणी नदी के किनारे घड़ियाल व दर्जिनिया ताल में मगरमच्छ व अन्य दर्शनीय स्थल पर्यटकों को खासा लुभाते रहे हैं।

    Maa Banailiya Mandir
    Itahiya Shiv Temple

    इस योजना के तहत केंद्र सरकार की पहल पर जिला प्रशासन द्वारा यहां पर पर्यटकों के लिए कुल 10 आवास निर्मित किये जायेंगे ताकि आने वाले पर्यटकों को आसानी से रुकने की सुविधा मिल सके। जिससे न सिर्फ यहां के गांव पर्यटन के केंद्र बनेंगें बल्कि इससे क्षेत्र का विकास भी होगा। योजना के अनुसार चयनित समस्त गांवों से सटे संभावित पर्यटन स्थलों के साथ ही वहां की स्थानीय लोक कलाओं को भी लक्ष्य बनाया जायेगा ताकि वह भी एक आय का साधन बन सके। इसके तहत चयनित गांवों में पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के विस्तार की श्रृंखलाबद्ध योजना अपनाई जाएगी।
    चयनित ग्रामों में निचलौल ब्लाक के ही दो गांवों भेडिहारी और गिरहिया बंजारीपट्टी ग्राम का नाम शामिल है। जहां पहुंचाने वाले लोग यहां के गांवों की पुरानी विधा बिरहा एवं लोकगीत का आनंद ले सकेंगे साथ ही साथ नेपाल बार्डर से सटे निकटवर्ती दर्शनीय व पर्यटन स्थलों के रूप में नारायणी नदी के किनारे तेलफाल में घडियालों की अठखेलियों के साथ ही नदी में बोटिंग का आनंद भी उठा सकेंगे। वहीं, यहां पर प्राकृतिक रूप से विकसित दर्जिनिया ताल में मगरमच्छों को देखने का भी लुफ़्त उठा सकेंगे। जबकि गिरहिया बंजारीपट्टी और उसके आस-पास में केले की खेती और केले से निर्मित उत्पाद ने काफी प्रसिद्धी बनाई हुई है। यहां पर दर्शनीय स्थलों में भारत-नेपाल की सीमा झुलनिपुर में बना बैराज शामिल है।
    जबकि तीसरे स्थान पर पंचमुखी शिव मंदिर इटहिया धाम ग्राम का चयन किया गया है, जो इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक स्थल है। जहां पर नेपाल और बिहार से भी लोग वैसे भी आते हैं। यहां कि लोक विधाओं में बिरहा और लोकगीत के साथ ही कजरी भी प्रसिद्द है। चौथा गांव नौतनवा के तरैनी गांव हैं। जहां पर आने वाले पर्यटक गांव में बसे थारु समाज के लोगों की थारु संस्कृति के बारे में जानकरी ले सकेंगे। यहां स्थानीय स्तर पर दर्शनीय स्थल के रूप में नौतनवा स्थित मां बनैलिया देवी मंदिर स्थित है। इसी ब्लाक का पांचवा ग्राम पंचायत चंडीथान का नाम शामिल है। जहां लोग बिरहा संस्कृति और अपनी विरासत की कलात्मकता के साथ आत्मीय हो सकेंगे। सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में इन गांवों से पलायन को पूरी तरह रोक दिया जाय ताकि इन गाँवों की अर्थव्यवस्था मजबूत बन सके।

    Maa Banailiya Mandir
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    वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
    यह एक केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम है। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज’ प्रोग्राम को शुरू किया था। जिसमें उत्तर-उत्तरपूर्व में सीमावर्ती गांवों को विकसित करने और उन सीमावर्ती गांवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने 4,800 करोड़ रुपये का खर्च निश्चित किया है। इसके अलावा इन गांवों में सड़कों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये अलग से आवंटित किए गए हैं। इसका उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा या देश की सीमाओं पर सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करना है। यह सीमा रक्षक कर्मियों को आराम करने, स्वस्थ होने और प्रशिक्षित करने हेतु अवसर भी प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त बटालियन के गठन का निर्णय लेते समय कुशल सीमा निगरानी व बटालियन दोनों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए स्थानीयता की गुणवत्ता और महत्ता पर भी जोर देने में भी मदद करेगा।
    इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे। इसके तहत 2,963 गांवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे। ग्राम पंचायतों की सहायता से जिला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाए जाएंगे। जबकि यह भी सुनिश्चित किया गया है कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न न हो सके।
    उद्देश्य
    यह योजना उत्तरी सीमा पर सीमावर्ती गाँवों के स्थानीय, प्राकृतिक, मानव तथा अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक चालकों की पहचान एवं विकास करने में सहायता करेगी। सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं एवं महिलाओं के सशक्तीकरण के माध्यम से ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ पर आधारित विकास केंद्रों का विकास करना। इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण अहलू है स्थानीय, सांस्कृतिक, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना। यह प्रयास समुदाय आधारित संगठनों, सहकारी समितियों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से ‘एक गाँव-एक उत्पाद’ की अवधारणा पर स्थायी पर्यावरण-कृषि व्यवसायों का विकास करने की दिशा में तीब्रता लाने के लिए है।

    #maharajgunj #UP #village
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    तबरेज़ खान डेढ़ दशक से मीडिया में सक्रीय भूमिका में हैं और इस वक़्त Men's Media Group में प्रबंध संपादक हैं. इससे पहले इन-दिनों, वीर वीर अर्जुन, दैनिक भास्कर, आज समाज, इंडियन न्यूज़, दैनिक जागरण और लोकस्वामी में काम कर चुके हैं.

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