तबरेज खान
पूर्वांचल की राजनीति के बेताज बादशाह बनकर उभरे पंकज चौधरी किसी परिचय के मोहताज नहीं है बल्कि वर्तमान समय में राष्ट्रीय राजनीति की पूर्वांचली गाड़ी की मुख्य पहिया बनकर उभरे हैं. यह वहीँ महाराजगंज है जहाँ आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां का पहला प्रतिनिधित्व शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता शिब्बन लाल सक्सेना ने किया था जो संविधान सभा के सदस्य भी रहे थे. यह समूचे क्षेत्र के लिए गर्व और गौरव का विषय था. जबकि यह भी सत्य है कि आज पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल महाराजगंज का इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली रहा है. महाकाव्य काल में यह क्षेत्र करपथ के नाम से जाना जाता था, जो कोशल राज्य का एक अंग हुआ करता था.
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मान्यता है कि इस क्षेत्र पर राज करने वाले प्राचीनतम सम्राट इक्ष्वांकु थे, जिनकी राजधानी अयोध्या थी. डेमोग्राफी, विधानसभा और मुद्दे करीब 16 लाख वोटर वाले महराजगंज संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की संख्या करीब तीन लाख है. महाराजगंज संसदीय सीट के अंतर्गत फरेंदा, नौतनवा, सिसवा, महाराजगंज और पनियरा विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिले की आबादी 26.8 लाख है. यहां की औसत साक्षरता दर 52.86% है जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 63.81% और महिलाओं की साक्षरता दर 41.25% है. स्थानीय मुद्दों में औद्योगिक विकास और मूलभूत संसाधनों की कमी है, विकास की धीमी गति और शिक्षा और बेरोजगारी है. महाराजगंज की खास बातें महाराजगंज, उत्तर प्रदेश लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. जिले का मुख्यालय महाराजगंज है. यह भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित है.
यह लोकसभा क्षेत्र आज फिर एक बार सुर्खियों में है क्योंकि इस मिट्टी का एक लाल लगातार तीसरी बार देश की संसद में अपना प्रतिनिधित्व दे रहा है वहीं वह इस जीत के साथ ही सातवी बार लोकसभा के सदस्य चुने गए हैं. यूपी के महाराजगंज लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पंकज चौधरी ने यह बेताज नया रिकॉर्ड बना दिया है. जबकि इस जीत के साथ ही पंकज चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र के नेतृत्व में गठित सरकार का हिस्सा भी बने हैं और उन्हें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बनाया गया है.
इसे श्री चौधरी का जनता के साथ गहरा लगाव कहे या उनकी कार्यशैली का अंदाज कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव प्रचार के दौरान गोरखपुर गए तो संकरी गलियों में सरकते हुए उनके घर पहुंच गए. प्रधानमंत्री की इस दरियादिली और एक कर्मठ कार्यकर्ता को सम्मान देने की राजनीतिक शैली की खासी प्रशंसा भी हुई थी. पंकज चौधरी को सन 1991 में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया और उसी साल के लोकसभा चुनाव में उन्हें मैदान में उतार दिया गया. इसी जीत के साथ वे राजनीतिक करियर का आगाज करते हैं और फिर कभी पीछे मुड़ कर देखते नहीं हैं. बीच में महज एक-दो बार को छोड़ दिया जाय तो वे आज सातवी बार लोकसभा के सदस्य चुनकर आये हैं जो अपने आप में एक समर्थ भुमिका को दशार्ता है.
पंकज चौधरी का जन्म 15 नवंबर 1964 को एक जमींदार कुर्मी परिवार में श्री भगवान प्रसाद चौधरी के घर हुआ था. उनका अपना अच्छा-खासा व्यवसाय भी था. शुरूआती दिनों से ही अपने समुदाय पर गहरी पकड़ उनके राजनीतिक सफलता के कदमों को मजबूती प्रदान करते रहे थे बल्कि उनके व्यक्तित्व की खासियत ही ऐसी रही है कि अन्य समुद्यों की पहुँच भी आसानी से हो जाती है. समुदाय विशेष का होना या उसका ठप्पा लग जाना उनके राजनीति का कभी हिस्सा नहीं बन पाया. आज भी उनके यहाँ पुरे क्षेत्र विशेष की उपस्थिति सब कुछ बयान कर देती गई. गौरतलब है कि यूपी में कुर्मी वोटरों की संख्या करीब 5% से 6% है. यहीं कारण हैं कि आज जिले की राजनीति में काफी मजबूत पकड़ रखने वाले पंकज चौधरी यूपी में कुर्मी बिरादरी के बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने तो आये ही है साथ ही उनके साथ सर्वमान्य जननेता का तगमा भी जुड़ गया है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के रूप में पंकज चौधरी का सियासी छवि एक शालीन नेता के साथ-साथ काफी सक्रिय और कुशल नेता के रूप में भी लोग करने लगे हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय से कला स्नातक (बीए) की डिग्री प्राप्त किये पंकज चौधरी का पूर्वांचल की सियासत में शुरूआत गोरखपुर नगर निगम में पार्षद से वर्ष 1989 में हुआ था. वह उप महापौर रह चुके हैं. उस दौर से ही उनकी जीवन शैली में सार्वजनिक सेवा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और लोक कल्याण की भावना कूट-कूट कर भर गई थी. यही कारण रहा कि जब वे केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाए गए तो अपने कार्यकाल में सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया, जिसमें सामाजिक कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव सबसे प्रमुख रहा.
सामाजिक कारणों के प्रति चौधरी का समर्पण बुजुर्गों, विधवाओं और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों सहित वंचित समूहों का समर्थन करने के उनके प्रयासों में स्पष्टता दिखती है. वे इन हाशिए के समुदायों के लिए सरकारी सुविधाओं की पहुँच को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के साथ ही कमजोर पृष्ठभूमि की बेटियों की शादी की सुविधा जैसी पहलों की व्यक्तिगत रूप से देखरेख करते हैं. अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से परे, चौधरी सामुदायिक विकास परियोजनाओं में गहराई से शामिल हैं, जिसमें स्कूल और धर्मशाला जैसे शैक्षिक और धार्मिक बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है. वह आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को अपना समर्थन देते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उन्हें अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए आवश्यक सहायता मिल सके.
राजनीति से इतर श्री चौदहरी का जीवन भी उतना ही विशाल है. अपने खाली समय में, चौधरी ऐतिहासिक स्थलों की खोज करना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना और समाचार स्रोतों के माध्यम से वैश्विक मामलों पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.
उन्हें खेलों, विशेष रूप से क्रिकेट और बैडमिंटन में गहरी रुचि है और उन्होंने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. अपने पेशेवर और नागरिक जुड़ावों के साथ-साथ, चौधरी पारिवारिक जीवन को महत्व देते हैं और उनकी शादी भाग्य श्री चौधरी से हुई है, जिनसे उनके दो बच्चे हैं. 37,18,27,109 रुपये की कुल संपत्ति के साथ, चौधरी का प्रभाव राजनीतिक क्षेत्र से कहीं आगे तक फैला हुआ है, जो सामाजिक प्रगति और सामुदायिक सशक्तिकरण की एक स्थायी विरासत छोड़ गया है. चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के मुताबिक, पंकज चौधरी ने अपनी चल सम्पत्ति 1 करोड़ 14 लाख 43 हजार 314 रुपये बताई है. इसके अलावा उनकी पत्नीभाग्यश्री के पास भी 11 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है. पंकज के पास तीन बंदूकें भी हैं.