हरी कृष्णा
आज के दौर में जब प्रदूषण अपने चरम पर है, और हम ग्लोबल वार्मिंग की उस अवस्था में हैं, जहां से प्रकृति हमें विनाश और सिर्फ विनाश का इशारा कर रही है. ऐसे में भी हम हर चेतावनी को अनदेखा कर अपने दैनिक जीवन में व्यस्त हैं तो वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही प्रकृति और पेड़ों को समर्पित कर दिया है. उदय सर्वोदय के इस अंक में हम लाए हैं ऐसे ही एक शख्स की कहानी जिसने अपना पूरा जीवन ही पेड़ पौधों को समर्पित कर दिया जिस कारण उसका नाम ही पीपल बाबा बड़ गया.
पीपल बाबा का जन्म वर्ष 1966 में हुआ था. जब वो दस साल के थे तभी से अपनी टीचर की पेड़ लगाने के प्रति जागरुकता और उसे लगाने से प्रभावित होकर उन्होंने पीपल का पेड़ लगाना शुरू किया. पीपल बाबा का असली नाम स्वामी प्रेम परिवर्तन है, लेकिन उनका पीपल के पेड़ लगाने के प्रति लगन को देखकर उन्हें लोग पीपल बाबा कहने लगे. उनका कहना है कि पीपल का पेड़ अपने साथ कई तरह के पेड़ पौधे और जीव को आश्रय देता है और जिंदा रखता है. साथ ही इसकी ज्यादा देखभाल भी नहीं करनी पड़ती है. इसलिए पीपल के पेड़ को लगाना शुरू किया था.
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पीपल बाबा का कहना है कि उन्होंने अलग-अलग जिले में रहकर काम किया है. उन्होंने ‘गिव मी ट्री फाउंडेशन’ बनाया है और उसी फाउंडेशन से अब तक 28 राज्यों के कुल 202 जिलों में पेड़ लगाने और उसे जंगल में तब्दील करने की सोची है. इसके तहत उन्होंने कुल 2 करोड़ पेड़, जिला प्रशासन और अन्य अथॉरिटी और अन्य वालंटियर के साथ मिलकर ये कार्य किया है. पीपल बाबा का कहना है कि दिल्ली एनसीआर के जिला गौतमबुद्ध नगर में नोएडा अथॉरिटी की मदद से कई काम किए हैं. नोएडा के सेक्टर-150 में भी कई काम शुरू किए गए हैं. साथ ही लखनऊ में भी डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि अगर किसी को मुझसे संपर्क करना हो तो वह ६६६.स्रीीस्रं’ुुंं.ङ्म१ॅ पर संपर्क कर सकते हैं.
1977 से पेड़ लगाओ अभियान की शुरूआत करने वाले पीपल बाबा का सफर निर्बाध रूप से जारी है. कोरोना जैसी महामारी में सभी लोग जहां पर खुद को अलग करते हुए अपने घरों की चार दीवारी में कैद हैं, वहीं पीपल बाबा और उनकी टीम फिजिकल डिस्टैंसिंग को फॉलो करते हुए अपने पेड़ लगाओ अभियान में जुटी हुई है. पीपल बाबा के मुताबिक, पर्यावरण को बचाना हमारी जिम्मेदारी है.