उदय सर्वोदय
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. अधिकतर किसान धान की पारंपरिक खेती पर जोर देते हैं, लेकिन अब खेती कीतरीकों में बदलाव आ रहे हैं. खरीफ सीजन नजदीक है और इसमें धान की खेती की जाती है. धान की कुछ किस्में ऐसी भी है, जिसकी खेती से कम समय में अधिक फसल तैयार की जा सकती है. यदि किसान बासमती धान की खेती करें, तो इससे दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. बासमती धान से तैयार होने वाले चावल खुशबूदार होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होते हैं और इनकी मांग सालभर होती है.
आइये हमारे इस आर्टिकल में बासमती धान की उन्नत किस्म और खेती का पूरा प्रोसेस जानें.
बासमती धान की नर्सरी
किसानों को बासमती धान लगाने के लिए मई-जून में खेत की जुताई करने के बाद घास को साफ कर देना चाहिए. इसके बाद, जून-जुलाई में इस मौसम की पहली बारिश होते ही खेतों में बीज लगाना शुरू कर देनी चाहिए. किसान बासमती धान की नर्सरी लगना अभी शुरू कर सकते हैं.
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कैसे करें बीज की बुआई?
किसानों को धान की बुआई करने से पहले कार्बनडाजिम या त्रिपोजियम से धान का सही तरीके से उपचार करना चाहिए. ऐसा करने से धान के बीज तेजी से अंकुरित होने लगते हैं और फसल में कीड़े भी नहीं लगते.
धान की नर्सरी तैयार करने से पहले इसके बीजों को एक दिन पहले अच्छी तरह से साफ पानी में भिगोकर रख देना चाहिए और बीजों को नर्सरी में लगाना चाहिए. नर्सरी में 25 से 30 दिनों तक तैयार होने के बाद इसे खेत में लगाते वक्त ध्यान रखें की 2 से 3 इंच पानी हो.
1. पूसा बासमती-6
धान की पूसा बासमती-6 किस्म के पौधों की कम ऊंचाई रहती है, जो तेज हवा से सुरक्षित रहती है. इस किस्म की धान से मिलने वाला चावल दाने के समान आकार का होता है. किसान पूसा बासमती-6 धान की खेती करके प्रति हेक्टेयर से 55 से 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
2. कस्तूरी बासमती
धान की कस्तूरी बासमती किस्म अपने पौष्टिक गुणों के चलते किसानों के बीच पहचानी जाती है. इस धान के दाने छोटे होते हैं और काफी सुगंधित भी होते हैं. इस किस्म की धान का स्वाद भी काफी अच्छा होता है, और पकने के बाद तो इसके स्वाद में और बढ़ोत्तरी हो जाती है.
बाजारों इस किस्म के बासमती की अच्छी कीमत मिल जाती है. इस किस्म की धान को तैयार होने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है. किसान कस्तूरी बासमती धान की खेती करके प्रति हेक्टेयर से लगभग 30 से 40 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
3. पूसा बासमती 1121
धान की पूसा बासमती 1121 किस्म की खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है. इस किस्म की खेती करने वाले किसानों को खेतों में अधिक पानी की आवश्यकता होती है. धान की इस फसल से ज्यादा पानी में अधिक पैदावार प्राप्त होती है. पूसा बासमती 1121 धान के दाने लंबे और पतले होते हैं. इस किस्म का धान को तैयार होने में लगभग 140 से 150 दिनों का वक्त लगता है. इस किस्म की धान से प्रति हेक्टेयर 40 से 50 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
4. तरावड़ी बासमती
धान की तरावड़ी बासमती किस्म भी काफी अच्छी मानी जाती है. इस धान को पकने में अन्य धान के मुकाबले थोड़ा ज्यादा समय लगता है. इस किस्म की धान को पकने में 140 से 160 दिनों का समय लगता है. तरावड़ी बासमती धान के दाने पतले और काफी सुगंधित होते हैं. किसान इस किस्म की खेती करके प्रति एकड़ 12 से 15 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
5. बासमती 370
धान की बासमती 370 किस्म बेहतरीन किस्मों में से एक मानी जाती है. इस किस्म के चावल भारत के साथ-साथ विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं. बासमती की इस किस्म को तैयार होने में 140 से 150 दिनों का समय लगता है. बासमती 370 धान के दाने काफी खुशबूदार होते हैं और इनकी लंबाई भी अधिक होती है. किसान धान की इस किस्म की खेती करके प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.