डॉ राजेंद्र प्रसाद शर्मा
100 से अधिक विमान उड़ानों को बम से उड़ाने की धमकी इस मायने में गंभीर हो जाती है कि धमकियों पर धमकियों के बावजूद धमकी देने वालों की अभी तक पहचान ही नहीं हो पा रही है। इसे तकनीक की विफलता भी माना जा सकता है। कहा तो यह जा रहा है कि विमान उड़ाने की अधिकांश धमकियां विदेशी धरती से आ रही है। पर सवाल यह भी है कि जिन देशों से धमकियां आने के संकेत मिल रहे हैं उनमें भारत का दुश्मन देश केवल और केवल कनाड़ा को माना जा सकता है। हांलाकि इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा कि धमकी देने वाले शरारती तत्व केवल भ्रमित करने के लिए विदेशी धरती का वर्चुअली उपयोग कर रहे हो। हांलाकि सरकार धमकियों को लेकर गंभीर है और लगातार उच्च स्तरीय बैठक कर मंथन किया जा रहा है। पर हालात की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि दस दिन के अंदर अंदर 100 से अधिक धमकियां आना अपने आप में शुभ संकेत नहीं हो सकता है। यह तो धमकी धमकी ही रह रही हैं अन्यथा इसके दुष्परिणाम की कल्पना ही करना कठिन है। सरकार चिन्हित व्यक्तियों को नो फ्लाई लिस्ट में ड़ालने की बात कर रही है तो दूसरी और एयरपोर्ट पर सतर्कता को और अधिक सख्त करने और मानक संचालन प्रक्रिया यानी कि एसओपी की सख्ती से पालना की हिदायत दे रही है। पर इसे इस गंभीरतम समस्या के हल के रुप में नहीं देखा जा सकता।
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विमानों को उड़ानों में बम होने की धमकियां या फिरौती मांगने की धमकी गंभीर होने के साथ ही शरारती तत्वों की किसी बड़ी साजिश से कमतर नहीं आंका जा सकता। संतोष की बात यह है कि अभी तक सभी धमकियां झूठी साबित हुई है। पर क्या भरोसा कब कौनसी धमकी सही साबित हो जाए। धमकियों पर धमकियां आ रही है पर ऐसे तत्व अभी तक पहचान और पकड़ से दूर है। सोशियल मीडिया पर धमकियों के अकाउंट को डीएक्टिवेट कर देना समस्या का समाधान इसलिए नहीं हो सकता कि धमकी देने वालों के हौसलें लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि 46 धमकियां तो एक ही एड्रेस अकाउंट से आई है। होशियारी यह कि धमकियां देने वाले स्वयं भी अकाउंट बदलते जा रहे हैं। अभी तक ना तो ई मेल से और ना ही सोशियल मीडिया अकाउंट से मिली धमकियों को चिन्हित किया जा सका है। जबकि यात्रियों की जान सांसत में आने के साथ ही विमानन कंपनियों, प्रशासन, सुरक्षा बल सभी सांसत में आ जाते हैं। धमकी की जानकारी आते ही एक्शन मोड में आना पड़ जाता है। इस सबके बाजजूद धमकियां देने वाले बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। यह अपने आप में तकनीक के आगे नाकामी की ओर इषारा भी है। सबसे बड़ा ड़र यह है कि ऐसे हालातों में जन-धन हानि का कोई बड़ा हादसा ना हो जाएं।
जानकारों के अनुसार 2014 से 2016 के दौरान 102 धमकी भरे संदेष प्राप्त हुए। पर 2024 में तो पिछले दस दिनों में ही 100 से ज्यादा धमकी भरे संदेश प्राप्त हो चुके हैं। यहां तक कि 42 करोड़ की राशि की मांग का भी संदेश प्राप्त हो रहा है। धमकी भरे संदेश देने वालों की हिमाकत देखिए कि केवल भारत ही नहीं अमेरिकन एयर लाईन्स, जेट ब्ल्यू, एयर न्यूजीलैंड आदि को भी इस तरह के संदेश दिए गए हैं। भारतीय विमान कंपनियों एयर इंडिया, विस्तारा, इंडिगो, अकासा एयर, स्पाइस जेट, स्टार एयर आदि को इस तरह के धमकी भरे झूठे संदेश भेजे गए हैं। धमकी भरे भेजे गए संदेश लगभग समान तरह के ही है। दरअसल धमकियां देने वालों ने सबकी नींद उड़ा के रख दी है।
अभी तक यह भी साफ नहीं हो पाया है कि धमकियां देने वालों का मकसद क्या है? अहम् सवाल यह भी हो जाता है कि केवल 10 दिनों में ही इतनी बड़ी संख्यां में विमान में बम रखा होने की धमकियां देने के पीछे क्या हो सकता है ? क्या यह मात्र धमकी भर ही है या इसके पीछे कोई आतंकी माहौल बनाने का उद्देष्य है? भले ही बम होने की धमकियों के संदेश झूठे साबित हो रहे हो पर इसके साइड़ इफेक्ट अपने आप में गंभीर हो जाते हैं। आईएटीए के माने तो धमकियों भरे संदेशों से सालाना 10 अरब डालर का खामियाजा भुगतना पड़ता है। बम की सूचना मिलते ही विमानन कंपनियों के साथ ही इससे जुड़ी पूरी मशीनरी को इमरजेंसी एक्टिव मोड़ में आना पड़ता है वहीं हवाई यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है, कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, यात्रियों की जान सांसत में आ जाती है तो रुट डायवर्ट करने से लेकर रद्द करने जैसे हालात हो जाते हैं। इसके साथ ही इंटरनेशनल उड़ाने प्रभावित होती है। इस सबके साथ ही यदि इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ती है तो उससे करीब 100 टन ईंधन की बर्बादी होती है। मजे की बात यह है कि यात्रियों की जान सांसत में आती है वो तो है ही इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियों सहित पूरा प्रशासन सक्रिय व तनाव के मोड़ में आ जाते हैं।
सवाल यह है कि सोशियल मीडिया के प्लेटफार्म और मेल सुविधा प्रदाता प्लेटफार्म अभी तक यह पता लगाने में विफल रहे हैं कि देश-विदेश में इस तरह से दहशत फैलाने वालें कौन है? जब एक ही एड्रेस से एक से अधिक मेल या संदेश आ रहे हैं फिर भी लोकेशन व इस तरह की गतिविधियां करने वाले लगातार पकड़ से दूर है। इससे एक बात और साफ हो रही है कि दहशत फैलाने वालों में किसी तरह का खौफ ही नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब इस तरह की धमकियां आने पर तकनीकी टीम को जहां ऐसे लोगों तक पहुंच कर उन्हें पकड़ने और बेनकाब करते हुए सख्त से सख्त सजा दिलाने के प्रयास करने होंगे वहीं सुरक्षा बलों को भी और अधिक सतर्कता से काम करना होगा नहीं तो आज की गीदड़ धमकी कब वास्तविकता में बदल जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके साथ ही नो फ्लाई लिस्ट में ड़ालने से कोई सबक वाली बात नहीं होगी अपितु सख्त से सख्त सजा के प्रावधान किया जाना जरुरी हो जाता है।
लेखक के निजी विचार हैं