अजय कुमार उत्तर प्रदेश में पांच चरण के मतदान के बाद अब राजनैतिक ताकतों का पूरा फोकस पूर्वांचल की 27 लोकसभा सीटों पर आकर टिक गया है। पूर्वांचल में पूरे प्रदेश से अलग सियासी बयार बहती है। यह क्षेत्र राजनैतिक रूप से काफी सशक्त भी है। यहां के लोगों की रग-रग में सियासत देखने को मिल जाती है। तमाम बड़े और दिग्गज नेताओं को भी पूर्वांचल की धरती काफी रास आती है। यहां से निकले नेताओं ने देश-विदेश में खूब नाम कमाया है। पूर्व प्रधानमंत्रियों में पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चन्द्रशेखर यहीं की धरती से…
Author: Ajay Kumar
अजय कुमार लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा दी है. इस सियासी गठबंधन ने बीजेपी को बहुमत का आंकड़ा प्राप्त करने से रोका, और मोदी सरकार को सहयोगी दलों के समर्थन पर निर्भर रहने पर मजबूर कर दिया. चुनाव परिणामों के बाद से, बीजेपी के बड़े नेता लगातार कांग्रेस और सपा गठबंधन के विघटन की भविष्यवाणी कर रहे हैं. हालांकि, यह जोड़ी न केवल चुनाव के दौरान बल्कि अब संसद में भी एक साथ नजर आ रही है. लोकसभा में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच…
अजय कुमार कांग्रेस का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर नजरिया बदलता जा रहा है। अब कांग्रेस और राहुल गांधी सपा प्रमुख अखिलेश यादव को वह अहमियत नहीं दे रही है जो उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के समय दी थी। वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के प्रति जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं उससे यही लगता है कि जल्द ही कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन का दौर खत्म हो सकता है। इतना ही नहीं पिछले कुछ समय से जिस तरह…
अजय कुमार मोदी सरकार ने उच्च पदों पर नौकरियों में सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) का अपना एक फैसला क्या वापस लिया, विपक्ष ने इसे मोदी को घेरने का हथियार बना लिया. पूरा विपक्ष अपनी पीठ ठोंक रहा है. पीठ ठोंकने वालों में यूपी के नेता मायावती और अखिलेश यादव सबसे आगे नजर आ रहे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को तो लगता है कि इससे यूपी की राजनीति की धुरी ही बदल जायेगी. बसपा प्रमुख मायावती की प्रतिक्रिया आई थी कि उनके तीव्र विरोध के बाद सरकार ने सीधी भर्ती वाला निर्णय वापस लिया है. वहीं,…
संजय सक्सेना समय और जरूरत के हिसाब से राजनेताओं को अपना चाल-चरित्र-चेहरा बदलने हुए देखना भले ही देश की जनता को अच्छा नहीं लगता हो,लेकिन नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.क्योंकि वह जानते हैं कि जनता की याद्दाश्त काफी कमजोर होती है,वह कोई बात ज्यादा समय तक याद नहीं रखती है. इसी का फायदा हमारे नेता उठाते हैं.आज की तारीख में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं. जनता दल युनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को तो पलटूराम तक की संज्ञा दी जाती है.इस कड़ी में समाजवादी…