Author: Javed Anis

स्वतंत्र पत्रकार, सामजिक, राजनीतिक मुद्दों और फिल्मों पर नियमित लेखन

जावेद अनीस यह भारतीय राजनीति और समाज के लिये भारी उठापटक भरा दौर है, साल 2014 के बाद से एक राष्ट्र और समाज के तौर पर भारत को पुनर्परिभाषित करने के सुव्यवस्थित प्रयास किये गये हैं, जाहिर है इससे फिल्में भी अछूती नहीं हैं. इस दौरान हिन्दुस्तान का सॉफ्ट पॉवर कहा जाने वाला हिंदी सिनेमा को सॉफ्ट टारगेट बनाया गया, कभी देवताओं की तरह पूजे जाने वाले उसके सितारों को घृणा और बायकॉट अभियानों का शिकार बनाया गया, हिंदी सिनेमा को हिन्दू-मुस्लिम के साम्प्रदायिक बहस के चपेट में ढकेला गया. देश में अचानक ऐसी फिल्मों की बाढ़ आ गयी जिसमें…

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जावेद अनीस नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नये भारत का निर्माण हो रहा है जो 1947 में जन्में भारत से बिलकुल अलग है लेकिन इसी के साथ ही भारत एक विकेंद्रीकृत, उदारवादी और समावेशी लोकतंत्र के तौर पर लगातार कमजोर हुआ है. एक दशक के बाद ऊपरी तौर पर तो भारत वही ही दिखलाई पड़ता है लेकिन इसकी आत्मा को बहुत ही बारीकी से बदल दिया है. आज भारत और भारतीय होने की परिभाषा बदल चुकी है. विभाजक और एकांगी विचार जो कभी वर्जित थे आज मुख्यधारा बन चुके हैं, भारतीय लोकतंत्र को रेखांकित करने वाले मूल्यों और संस्थानों…

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जावेद अनीस भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी का घर है. साल 2014 में बहुसंख्यकवादी भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद से भारत के मुसलमानों की यात्रा उथल-पुथल भरी रही है. इस दौरान देश में एक नागरिक के तौर पर उनकी जगह और हैसियत कम हुई है और वे अपने ही वजूद की तलाश में भटकते रहे हैं, यह सब कुछ एक पूर्वनिर्धारित योजना के तहत अंजाम दिया गया है. 2014 से पहले भी मुसलमानों को अक्सर भेदभाव, पूर्वाग्रह और हिंसा का सामना करना पड़ता था लेकिन अब इसका स्वरूप मुख्यधारा का…

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