निर्मल रानी
भारतीय जनता पार्टी द्वारा आजकल राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ साहित भाजपा के अनेक बड़े नेता पार्टी के सदस्य अथवा सक्रिय सदस्य बन चुके हैं। परन्तु एक बार फिर भाजपा का यह सदस्य्ता अभियान विवादों में पड़ गया है। भाजपा इस सदस्य्ता अभियान के माध्यम से यह साबित करना चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी ही विश्व का सबसे बड़ा व सबसे अधिक सदस्यों वाला राजनैतिक दल है। और इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा झूठ व अनैतिकता की सभी हदों को पार किया जा रहा है। आश्चर्य है कि हाल में हुये लोकसभा चुनावों में 63 लोकसभा सीटें गंवाने के बावजूद अभी भी भाजपा न जाने किस आधार पर अपने सदस्यों की संख्या में इज़ाफ़ा करना चाह रही है ?
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दरअसल कई राज्यों में भाजपा, सदस्यता अभियान में निर्धारित अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही है। इसके लिये उसके नेता व कार्यकर्त्ता साम दाम दंड भेद सभी हथकंडे अपनाकर किसी भी तरह से सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी करना चाह रहे हैं। मिसाल के तौर पर गुजरात में 2 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य पार्टी द्वारा निर्धारित किया गया था। गुजरात भाजपा ने सदस्यता अभियान के तहत पिछली बार से ज़्यादा सदस्य बनाने के लिए ख़ास योजना बनाई है। सरपंच से लेकर सांसद तक सभी 100-100 प्राथमिक सदस्य बनाएंगे। परन्तु इस लक्ष्य तक पहुंचना संभव नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार भावनगर में स्थानीय नेता 100 सदस्य जोड़ने के लिए 500 रुपये भी ऑफ़र कर रहे हैं क्योंकि निर्धारित तिथि 15 अक्टूबर तक 2 करोड़ का लक्ष्य पूरा करने के लिये प्रतिदिन 8 लाख से अधिक सदस्य बनने ज़रूरी थे। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये भाजपाई जिस स्तर तक गये हैं उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। गुजरात में कई शहरों में स्कूली बच्चों तक को सदस्यता दिला दी गई। अनेक लोगों को तो उनका केवल फ़ोन नंबर लेकर ही बिना बताए उन्हें भाजपा का सदस्य बना दिया गया। यह रहस्य तब उजागर हुये जब अपनी सदस्यता से अनजान कई छात्रों व आम लोगों के मोबाइल पर भाजपा का सदस्य बनने से सम्बंधित ‘बधाई संदेश’ आने लगे।
गुजरात में न केवल स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों तक को सदस्य बनाया गया बल्कि अस्पताल के मरीज़ों , नर्मदा में ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यकर्ता और भावनगर में 100 नए सदस्यों को नामांकित करने के लिए स्थानीय पार्टी नेताओं द्वारा 500 रुपये देने की योजना तक शामिल थी। ख़बरों के अनुसार जब एक महिला अपने पति के साथ रेबीज़ का इंजेक्शन लगवाने के लिए विसनगर के एक जन स्वास्थ्य केंद्र गयी तभी एक कर्मचारी ने उनका मोबाइल नंबर पूछा और फिर मोबाइल पर आया ओटीपी माँगा। और जैसे ही उन्होंने ओटीपी शेयर किया उसी समय मरीज़ को भाजपा का प्राथमिक सदस्य बनने के लिए बधाई संदेश मिला। हालांकि मरीज़ महिला के पति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों द्वारा उन्हें चुपके से भाजपा सदस्य बनाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों और रेज़िडेंट मेडिकल ऑफ़िसर (आरएमओ) से बात करते हुए अपने फ़ोन पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया कि उन्हें बिना बताए या उनकी सहमति के बिना उन्हें भाजपा सदस्य के रूप में क्यों नामांकित किया गया। रोगी के पति विकुंभ दरबार ने घटना के बाद स्थानीय मीडिया को बताया कि “आज सुबह, मैं और मेरी पत्नी एंटी रेबीज़ इंजेक्शन के लिए विसनगर सिविल अस्पताल गए क्योंकि उन्हें कुत्ते ने काट लिया था। पहली बार, हमें इंजेक्शन पाने के लिए एक ओटीपी साझा करने के लिए कहा गया था। शुरू में, हमें रजिस्टर में चेक इन करने के लिए कहा गया था, और जब हम इंजेक्शन के लिए आगे बढ़े, तो अस्पताल के कर्मचारी ने एक ओटीपी मांगा। मैंने पूछा कि इसकी आवश्यकता क्यों है, इसपर उस ने जवाब दिया कि – ‘यदि आप इंजेक्शन चाहते हैं, तो आपको ओटीपी प्रदान करना होगा।’ जब मैंने इस नियम पर सवाल उठाया, तो उन्होंने दावा किया कि यह एक नया सिविल अस्पताल विनियमन है।
इसी तरह गुजरात में ही राजकोट के जूनागढ़ के रणछोड़ दास ट्रस्ट अस्पताल का एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि राजकोट के इस अस्पताल में आंख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने गए 250 मरीज़ों को रात में नींद से उठाकर बीजेपी का सदस्य बना दिया गया। इसका ख़ुलासा उस समय हुआ जबकि एक मरीज़ ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। कमलेश भाई ठुम्मर अपनी आंखों का ऑपरेशन कराने इसी अस्पताल में गए थे। जहां उनके साथ 250 से ज़्यादा और भी मरीज़ भर्ती थे। कमलेश के मुताबिक़ आधी रात को एक व्यक्ति आया और अचानक सभी मरीज़ों को नींद से उठाकर उनसे ओटीपी मांगने लगा। मुझसे (कमलेश भाई) भी ओटीपी पूछा। जब मैंने ओटीपी भेज दिया तो फ़ोन में मैसेज आया कि ‘बधाई हो,आप बीजेपी के सदस्य बन गए हैं’। जब कमलेश ठुम्मर ने मैसेज देखकर उस व्यक्ति से पूछा कि क्या आप बीजेपी का सदस्य बना रहे हो? तब उसने जवाब दिया कि -‘इसके बिना उद्धार नहीं’। यदि किसी मरीज़ को OTP नहीं पता चलता था, तो वह कर्मचारी स्वयं मरीज़ का फ़ोन अपने हाथ में ले लेता और उसे भाजपा का सदस्य बना देता। इस कर्मचारी ने वार्ड के 200 से 250 मरीज़ों को बीजेपी का सदस्य बना दिया। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस जबरन भाजपा सदस्य बनाने के इस अभियान में अस्पताल की भी मिली भगत ज़रूर रही होगी।
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इसी तरह मध्य प्रदेश में भी ज़ोर जबरदस्ती से सदस्यता अभियान चलाये जाने की ख़बर है। यहाँ भी युवाओं को सदस्य्ता अभियान से जुड़ने और नये सदस्य बनाने के लिये 3000 से लेकर 5000 रूपये तक के ऑफ़र दिये जाने की ख़बर है। भारतीय जनता पार्टी सरकरी कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, हितग्राही लाड़ली बहनें,मुफ़्त राशन प्राप्त करने वालों,सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वालों आदि सभी को जबरन या धोखे से पार्टी सदस्य बनाने पर तुली हुई है। हद तो यही है कि भाजपा अब आधी रात में सोते हुये मरीज़ों को भी चैन की नींद नहीं सोने दे रही है। यानी इलाज और ऑपरेशन बाद में भी होता रहेगा, आराम भी बाद में कर लेना, पहले अपने मोबाइल पर आया ओटीपी दे दीजिए। देश भर से मिलने वाली इस तरह की और भी ख़बरें इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये काफ़ी हैं कि भाजपा का सदस्यता अभियान दरअसल झूठ की बुनियाद पर टिका हुआ है।
लेखक के निजी विचार हैं