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    यूपी मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्यता, चलते रहेंगे 16000 मदरसे
    राजनीति

    यूपी मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी मान्यता, चलते रहेंगे 16000 मदरसे

    Md Asif RazaBy Md Asif RazaNovember 5, 2024No Comments4 Mins Read
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    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्य के लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि इससे उनकी शिक्षा और भविष्य की पढ़ाई के लिए अनिश्चितता खत्म हो गई है।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। हालांकि, कुछ प्रावधानों को छोड़कर, अदालत ने ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004’ की संवैधानिक वैधता को स्वीकार कर लिया है। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अधिनियम का बड़ा हिस्सा कानूनन वैध और संविधान के अनुरूप है। इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यूपी के मदरसे सुचारू रूप से चलते रहेंगे और उनकी संचालन प्रक्रिया को कानूनी सुरक्षा प्राप्त होगी।

    दरअसल, अंशुमान सिंह राठौड़ नामक व्यक्ति ने मदरसा बोर्ड कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इसी पर हाईकोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 ‘असंवैधानिक’ है और इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है। साथ ही राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था। अदालत ने ये भी कहा था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई और अब अंतिम फैसला सुनाते हुए मदरसा एक्ट को संवैधानिक घोषित किया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जस्टिस की बेंच ने कहा कि यह सही नहीं था।

    मदरसा कानून है क्या?
    उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित और संरचित करने के उद्देश्य से 2004 में एक विशेष कानून बनाया गया, जिसे यूपी मदरसा बोर्ड अधिनियम के नाम से जाना जाता है। इस कानून के तहत उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा को प्रबंधित और नियोजित करना है। इस अधिनियम में अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (यानी पारंपरिक चिकित्सा), और दर्शनशास्त्र जैसी पारंपरिक इस्लामी शिक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह कानून मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने का ढांचा प्रदान करता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का भी समावेश किया जा सके।

    उत्तर प्रदेश में कितने मदरसे?
    उत्तर प्रदेश में करीब 25,000 मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 16,000 मदरसों को यूपी मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, लगभग साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे भी हैं, जिन्हें अब तक मदरसा बोर्ड की मान्यता नहीं मिली है।

    मदरसा बोर्ड उच्च शिक्षा के स्तर पर ‘कामिल’ नाम से स्नातक (अंडर ग्रेजुएशन) की डिग्री और ‘फाजिल’ नाम से स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) की डिग्री प्रदान करता है। इसके अलावा, पारंपरिक शिक्षा में ‘कारी’ नामक डिप्लोमा भी दिया जाता है, जो कुरान के पाठ और शिक्षण में विशेषज्ञता को प्रमाणित करता है।

    इसे भी पढ़ें ⇒आरआईएनएल को मिली वित्तीय मदद, केंद्र सरकार ने दिए 1,650 करोड़

    बोर्ड हर साल विभिन्न स्तरों पर परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसमें मुंशी और मौलवी (जो 10वीं कक्षा के समकक्ष हैं) तथा आलिम (जो 12वीं कक्षा के समकक्ष है) के लिए परीक्षाएं शामिल हैं। इस प्रणाली से यह सुनिश्चित होता है कि छात्र न केवल धार्मिक अध्ययन करें, बल्कि उन्हें अन्य शैक्षणिक योग्यताएं भी प्राप्त हों, जो उनके समग्र विकास में सहायक हो सकती हैं।

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