अशवनी राणा
2024 में बैंकों में 20000 से ज्यादा अप्रेंटिस की भर्ती अगले वर्ष बैंकों के लिए सिरदर्द बन सकती है। सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के 2023-24 के अप्रेंटिस ने एक वर्ष के बाद स्थाई न करने पर कोर्ट में चले गए हैं। इस वर्ष भी विभिन्न बैंकों द्वारा जो अप्रेंटिस की भर्ती की जा रही है उनको बैंक अपने यहां स्थाई नहीं करने वाले हैं, इससे बैंकों के लिए ये सब सिरदर्द बनने वाले हैं। बैंकों में आजकल अप्रेंटिस की भर्ती करने का जोर है। स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक,केनरा बैंक और जम्मू एण्ड काश्मीर बैंक ने अप्रेंटिस की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया है। हर बैंक 500 से 6000 तक अप्रेंटिस की भर्ती कर रहे हैं। इनको एक वर्ष के लिए रखा जाएगा और 10000 से 15000 हजार भत्ते के रूप में दिया जायेगा। इसके लिए लिखित परीक्षा से लेकर इंटरव्यू भी होगा। यानि जिस प्रकार से स्थाई कर्मचारियों की भर्ती होती है उसी आधार पर इनकी भी भर्ती को किया जाएगा। बैंक स्थायी कर्मचारियों की भर्ती न करके इन अप्रेंटिस से काम करवाना चाहता है जो कि घातक हो सकता है। यदि बैंक अधिकतर अप्रेंटिस को ही काम पर रखता है, तो स्थायी कर्मचारियों की भर्तियों में कमी आ सकती है, जिससे रोजगार की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
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बैंक अनुसार अप्रेंटिस भर्ती और मासिक भत्ता
बैंक का नाम अप्रेंटिस भर्ती मासिक भत्ता
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया – 2023 6160 15000
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया – 2024 6160 15000
पंजाब नेशनल बैंक – 2700 15000
युनियन बैंक – 500 15000
इन्डियन ओवरसीज बैंक – 550 15000
जम्मू एंड काश्मीर बैंक – 276 10500
सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया – 2023-24 5000 15000
सेन्ट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया – 2024-25 3000 15000
यूको बैंक – 544 15000
इन्डियन बैंक – 1500 15000
केनरा बैंक – 3000 15000
बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र – 2023 350 15000
अप्रेंटिस को आवश्यक अनुभव और कौशल की कमी हो सकती है, जिससे जहां एक ओर बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, वहीँ बैंक के डाटा की सुरक्षा को भी नुक्सान हो सकता है । बैंकों में ग्राहकों के डाटा की जिम्मेवारी बैंक की है और एक अप्रेंटिस, जो कि सिर्फ एक वर्ष के लिए बैंक में आएगा, पर भरोसा नहीं किया जा सकता। समय समय पर बैंको में जो धोखाधड़ी की घटनाएँ सामने आती हैं उनमें अधिकतर अस्थाई कर्मचारियों का हाथ होता है। ऐसे में अप्रेंटिस के रूप में बैंकों में भर्ती से जहाँ एक और स्थाई भर्ती में कमी आएगी वहीँ धोखाधड़ी की घटनाएँ भी बढ़ सकती हैं। जहां एक ओर बैंकों की सुरक्षा और स्थाई भर्ती का मामला है, वहीँ इन अप्रेंटिस से जुड़े मुद्दे भी हैं। यदि इस दौरान ये ओवरऐज हो जाते हैं तो इनको आगे नोकरी मिलने में मुश्किल होगी। दूसरा बैंक ट्रेनिंग के बाद इनको स्थाई नौकरी नहीं देने वाले जो की इस योजना का नकारात्मक पक्ष है।
वॉयस ऑफ़ बैंकिंग की मांग है कि वित् मंत्रालय को अप्रेंटिस योजना की भर्ती के स्थान पर पर्याप्त संख्या में स्थाई कर्मचारियों की भर्ती करनी चाहिए और अप्रेंटिस ट्रेनिंग ले चुके युवाओं को इसमें प्राथमिकता देनी चाहिए।
लेखक वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर हैं।