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    कुंभलगढ़ फेस्टिवल का ऐतिहासिक आगाज, राजस्थान की संस्कृति हुई जीवंत
    समाज

    कुंभलगढ़ फेस्टिवल का ऐतिहासिक आगाज, राजस्थान की संस्कृति हुई जीवंत

    Md Asif RazaBy Md Asif RazaDecember 2, 2024No Comments3 Mins Read
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    राजस्थान के ऐतिहासिक कुंभलगढ़ किले में तीन दिवसीय कुंभलगढ़ फेस्टिवल रविवार को शुरू हुआ। इस फेस्टिवल ने राजस्थान की समृद्ध कला, संस्कृति और विरासत को अनोखे अंदाज में जीवंत कर दिया। पर्यटन विभाग और राजसमंद जिला प्रशासन द्वारा आयोजित यह उत्सव देश-विदेश के पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।

    पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दलीप सिंह राठौड़ ने कहा कि कुंभलगढ़ फेस्टिवल राजस्थान के मेलों और त्योहारों की परंपराओं को जीवंत रखने का प्रतीक है। ऐसे आयोजन न केवल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और विरासत को नई पहचान भी देते हैं। उन्होंने कहा कि कुंभलगढ़ फेस्टिवल राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है और यह पर्यटकों को राजस्थानी कला, संगीत और परंपराओं की यादगार झलक देता है। इस तरह के आयोजन भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।

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    पहले दिन का नजाराः

    राजस्थानी लोककला व भारतीय शास्त्रीय नृत्यों ने दर्शकों का जीता दिलः- उदयपुर पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना के अनुसार फेस्टिवल के पहले दिन 1 दिसंबर को सुबह शोभायात्रा के साथ इस आयोजन की शानदार शुरुआत हुई। हल्दीपोल से कुंभलगढ़ किले तक निकाली गई इस शोभायात्रा में पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकार, ऊंट और घोड़ों के साथ निकले, जो दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहे। लाखेला तालाब के पास सजी फूड कोर्ट और किले के प्रांगण में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं ने दिन को खास बना दिया। किले के यज्ञ वेदी चौक में सुबह 11 बजे से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत हुई। लोक कलाकारों की द्वारा प्रस्तुत कच्ची घोड़ी, कालबेलिया नृत्य और घूमर के प्रदर्शन ने पर्यटकों का दिल जीत लिया। मंगणियार गायकों की लोक धुनों ने वातावरण को संगीतमय कर दिया। जबकि पगड़ी बांधने और रंगोली प्रतियोगिता में स्थानीय और विदेशी सैलानियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शाम होते ही कुंभलगढ़ किले का प्रांगण रोशनी और रंगों से जगमग हो उठा। रत्ना दत्ता और उनके ग्रुप ने कथक, ओडिसी और भरतनाट्यम के फ्यूज़न से समां बांध दिया।

    आगामी दिनों में होने वाले कार्यक्रमः

    2 दिसंबर: कार्यक्रम सुबह 11 बजे यज्ञ वेदी चौक में शुरू होंगे।
    सांस्कृतिक प्रस्तुतियांः घूमर, भवई और कालबेलिया नृत्य। ढोलक और सारंगी की मधुर धुनों के साथ राजस्थानी गायक अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। कैलाश चंद्र मोथिया और उनके ग्रुप द्वारा वायलिन वादन व इंडियन आइडल फेम गायक सवाई भाट द्वारा सूफी गायन।

    3 दिसंबर: उत्सव का समापनः फेस्टिवल के अंतिम दिन भी शानदार प्रस्तुतियां होंगी। रंगोली प्रतियोगिता और मेहंदी कला व बरखा जोशी और ग्रुप द्वारा कथक और लोक संगीत का संगम साथ ही मोहित गंगानी और ग्रुप की तबला प्रस्तुति

    इसे भी पढ़ें=यूके और जर्मनी यात्रा हमारे ऊर्जा से भरपूर और प्रतिभाशाली युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगी: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

    देसी- विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षणः

    – घूमर, कालबेलिया, और कच्ची घोड़ी नृत्य।
    – पारंपरिक राजस्थानी संगीत।
    – शिल्प प्रदर्शनी: राजस्थानी आभूषण, वस्त्र और हस्तशिल्प
    – प्रतियोगिताएं: पगड़ी बांधना, रंगोली, मेहंदी कला
    – रात के शो: लाइट एण्ड साउण्ड शो।

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    Md Asif Raza
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