भारतीय पौराणिक व ऐतिहासिक धरोहरों में ‘पुष्कर तीर्थराज’ का एक अपना सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व है। आज जब भारतीय जनमानस में अपने पौराणिक-सांस्कृतिक गौरवमयी उपलब्धियों को पुनार्स्मृति और पुनर्स्थापित करने की जिजीविषा बढ़ती जा रही है, अतः यह स्वाभाविक है कि लोकजीवन का स्थाई और चीरपर्यंत हिस्सा रहा ‘पुष्कर तीर्थराज’ अपने स्वर्णिम गौरव की उच्चत्ता को प्राप्त करेगा। वैसे तो पुष्कर तीर्थराज अपने जीवटता में जीवनमूल्यों की विभिन्न उपादेयाताओं को समेटे हुए है। तीर्थ स्थानों में पुष्कर ही एकऐसी जगह है जहां ब्रह्माजी का मंदिर स्थापित है। धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी पुष्कर ही है जहाँ प्रत्येक साल दुनिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक पशु मेले का आयोजन भी होता है। इसका आयोजन एक बेहतरीन सांस्कृतिक उत्सव की तरह होता है। वहीं, यह एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण भी है। आज यह आयोजन भारत के सबसे जीवंत और शानदार त्योहारों में से एक बन कर उभरा है। यह आयोजन आज संस्कृति, परंपरा और व्यापार का एक असाधारण मिश्रण बन गया है।
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पद्म पुराण के अनुसार, एक समय जब पृथ्वी लोक पर राक्षस वज्रनाश ने उत्पात मचा रखा था तो उसके अत्याचार से परेशान ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया। वज्रनाश के वध के दौरान ब्रह्मा जी के हाथ से कमल के पुष्प भूमि पर गिर गए थे। यह पुष्प जहां भी गिरे वहां पर झील बन गई थी। इसी में से एक स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। हिन्दू धर्म के अनुसार अन्य तीर्थों की तरह ही पुष्कर के पवित्र सरोवर में भी कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, साधक के सारे पाप धुल जाते हैं, मन की शुद्धता प्राप्त होती है, व्यक्ति की सारी मनोकामना की पूर्ति होती है और वैवाहिक संबंध में भी प्रेम बढ़ता है। दूसरी तरफ़ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार अपने प्रियजनों के लिए पिंडदान का अनुष्ठान करने के लिए पुष्कर झील पर आते हैं। यह अनुष्ठान जन्म और पुनर्जन्म के कर्म चक्र से मुक्ति पाने के लिए कराया जाता है वहीं कुछ लोग दिवंगत प्रियजनों की आत्माओं और पूर्वजों की आत्माओं के लाभ के लिए पिंडदान का अनुष्ठान करते हैं।
हर साल की भांति इस साल भी पुष्कर में भव्य मेले का आयोजन किया गया। पुष्कर मेला इस बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या के साथ ऐतिहासिक साबित हुआ। सात दिनों तक चले इस मेले में छह लाख से अधिक घरेलू श्रद्धालु और 20,000 विदेशी पर्यटक शामिल हुए। राज्य सरकार के आंकड़ें बताते है कि यह संख्या साल 2019 के बाद से सबसे अधिक है। इस वर्ष मेले में 8,000 से अधिक मवेशी बिक्री के लिए लाए गए। पुष्कर मेले में ऊंटों की खरीद-फ़रोख्त के अलावा, लोकसंगीत, नृत्य, फ़ेरिस व्हील, जादूशो, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इस मेले में ‘मटका फ़ोड़’, ‘सबसेलंबी मूंछ’, ‘दुल्हन प्रतियोगिता’, ऊंटदौड़ जैसी प्रतियोगिताएं आने वाले पर्यटकों को ख़ासा पसंद आई।
इस वर्ष ऐतिहासिक मेले के समापन समारोह में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भाग लिया। मेले की भव्यता और अभूतपूर्व सफलता के लिए आयोजन कर्ताओं एवं राज्य सरकार के महती प्रयास को सराहा। इस अवसर पर उन्होंने पुष्कर तीर्थराज के विकास और अत्याधुनिक सन्दर्भ देने के लिए अपनी सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा भी की। इस अवसर पर राज्य की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने समापन समारोह की अध्यक्षता की और पुष्कर के विकास को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। पुष्कर को एक वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रयास करने की बात भी कही। पुष्कर के विकास के लिए सरकारी की योजना तैयार है और इसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा। समापन समारोह के दौरान उपमुख्यमंत्री ने पुष्कर के सांस्कृतिक और धार्मिक विकास के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में आधुनिक सुविधाओं का समावेश करते हुए यहां की परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि पुष्कर झील व घाटों सहित आसपास के क्षेत्रों का सौंदर्यीकरण करते हुए धार्मिक यात्रियों और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं विकसित की जा रही है साथ ही पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
अंततः पुष्कर मेले की सफलता के लिए धन्यवाद समापन समारोह में उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने पुष्कर की जनता, प्रशासन और सभी विभागों को इस मेले की अभूतपूर्व सफलता के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, यह मेला हमारी धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर है। इसे सफल बनाने के लिए सबकी मेहनत सराहनीय है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने में नागरिकों सहित अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका अमूल्य है। आने वाले समय में सरकार समावेशी योजना बनाकर पुष्कर के विकास के लिए केंद्र की सरकार के साथ मिलकर काम करेगी और इसे विश्व पटल पर स्थापित करेगी।
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दीया कुमारी:- “केंद्र और राजस्थान सरकार मिलकर पुष्कर को काशी-विश्वनाथ और अयोध्या की तर्ज पर विकसित करेंगे। पुष्कर केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है। इसे एक वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। पुष्कर के विकास के लिए सरकारी की कई योजनाएं तैयार है और इसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा। विकास कार्यों में आधुनिक सुविधाओं का समावेश करते हुए यहां की परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजा जाएगा ताकि यह भारत ही नहीं समूचे विश्व पटल पर एक महत्वपूर्ण और आकर्षक तीर्थस्थल के साथ पर्यटन स्थल भी बन सके।”