शहंशाह आलम
यह संयोगवश नहीं हुआ
कि मैंने पुरानी साइकिल से
पुराने शहरों की यात्राएं कीं
खानाबदोश उम्मीदों से भरी
इस यात्रा में संयोग यह हुआ
कि तुम्हारा प्रेम साथ रहा मेरे
तुम्हारे प्रेम ने
मुझे अकेलेपन से
मुठभेड़ नहीं करने दिया
एक संयोग यह भी था
कि मेरा शहर जूझ रहा था
अकेलेपन की उदासी से
तुम्हारे ही इंतजार में
और मेरे शहर का नाम
तुमने खजुराहो रखा था
प्रेम की पवित्रता में बहकर।