विवेक
शशि रुइया ने अपने छोटे भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में एस्सार ग्रुप को शुरू किया। दोनों भाई अंत तक साथ रहे। शशि रुइया का आज मुंबई में निधन हो गया। एस और आर अक्षरों को मिलाकर एस्सार ग्रुप को शुरू किया गया था। रुइया मारवाड़ी हैं। अंबानी, मोदी, रैनबैक्सी और बाकी बहुत सारे औद्योगिक घरानों में संपत्ति विवाद हुए। वे बंटे भी। पर एस्सार ग्रुप में दोनों भाइयों के बीच विवाद जैसी कोई बात सामने नहीं आई। एस्सार देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घरानों में से एक है। इसमें डेढ़ लाख से ज्यादा मुलाजिम हैं।
इसे भी पढ़ें=आरईसी को 8वें एनएमसी में ‘सर्वश्रेष्ठ कॉर्पोरेट फिल्म’ पुरस्कार मिला
शशि रुइया ने अपने ग्रुप को एक छोटी सी कंपनी से एक विशाल बहुराष्ट्रीय समूह में विकसित किया, जिसमें ऊर्जा, दूरसंचार, स्टील और बुनियादी ढाँचे जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं। उन्हें हर कदम पर अपने भाई रवि का साथ मिला। हालांकि अब दोनों भाइयों के बच्चे भी बड़े हो गए थे, पर एस्सार के चेयरमेन शशि रुइया ही बने हुए थे।
रवि रुइया ने एस्सार के विस्तार के लिए आक्रामक अधिग्रहण रणनीति का इस्तेमाल किया। उन्होंने कई कंपनियों को खरीदा और उनका एकीकरण किया, जिससे एस्सार का आकार और प्रभाव बढ़ा। ये अधिग्रहण कभी-कभी विवादास्पद भी रहे। रुइया ने एस्सार को केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा, बल्कि कई क्षेत्रों में विविधीकरण किया। इससे कंपनी को जोखिमों को कम करने और विभिन्न बाजारों से लाभ उठाने में मदद मिली।
एस्सार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए रुइया ने वैश्वीकरण पर जोर दिया। कंपनी ने कई देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। रुइया को भारतीय राजनीति में मजबूत संपर्क बनाने और बनाए रखने के लिए भी जाना जाता था। यह उनके व्यावसायिक विकास में मददगार साबित हुआ। कहा जाता है कि शशि और रवि के सब दलों के बड़े नेताओं से घनिष्ठ संबंध हैं।
इस बीच, अब रवि रुइया का एस्सार ग्रुप का चेयरमेन बनना तय है। उन पर कॉरपोरेट गवर्नेंस की कमियों और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। देखने वाली बात है कि वे कब तक एस्सार ग्रुप को एक रख पाते हैं।