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    राजनीति के लिए परिवार से भिड़ने में भी गुरेज नहीं करते हैं नेता
    राजनीति

    राजनीति के लिए परिवार से भिड़ने में भी गुरेज नहीं करते हैं नेता

    Md Asif RazaBy Md Asif RazaOctober 25, 2024No Comments5 Mins Read
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    नीरज कुमार दूबे

    राजनीति में परिवारवाद तो जमकर चलता है लेकिन राजनीति के चलते ही परिवार के लोग भी एक दूसरे के खिलाफ हो जाते हैं। ऐसे दो ताजा उदाहरण महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से सामने आये हैं। महाराष्ट्र से उदाहरण बारामती सीट से सामने आया है। यहां अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत की थी। अब अजित पवार के विधानसभा क्षेत्र में उनको चुनौती देने के लिए उनके भतीजे को उतार दिया गया है। यानि एक बार फिर चाचा-भतीजे की जंग देखने को मिलेगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में मुलायम परिवार के बीच ही लड़ाई का अखाड़ा सज गया है।
    हम आपको बता दें कि करहल विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदारों के बीच लड़ाई देखी जा रही है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अनुजेश यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया। हम आपको बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लोकसभा के लिये निर्वाचित होने के बाद उनके इस्तीफे से करहल सीट रिक्त हुयी थी, और इस कारण यहां 13 नवंबर को मतदान कराया जायेगा। अनुजेश यादव को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले ने सपा के तेज प्रताप यादव के साथ मुकाबला कड़ा कर दिया है, जो शक्तिशाली सैफई परिवार के सदस्य और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव के पोते हैं। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दूसरी ओर अनुजेश यादव मुलायम सिंह यादव के भतीजे और आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव के सगे जीजा हैं। धर्मेन्द्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं।

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    राजनीतिक पर्यवेक्षक इस उपचुनाव को यादव परिवार के दो रिश्तेदारों के बीच एक बड़े पारिवारिक मामले के रूप में देख रहे हैं, जिसमें तेज प्रताप करहल सीट पर सपा के लंबे समय से कब्जे का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि अनुजेश यादव भाजपा के समर्थन से अपनी पैठ बनाने का लक्ष्य रखते हैं। अनुजेश यादव फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं और उनकी शादी मैनपुरी के जिला पंचायत की पूर्व जिला प्रमुख संध्या यादव से हुई है, जो भाजपा की प्रमुख समर्थक रही हैं। यादव परिवार से उनके पारिवारिक संबंध उपचुनाव में जटिलता की एक परत जोड़ते हैं, क्योंकि वे सपा के उम्मीदवार तेज प्रताप यादव के ‘फूफा’ हैं।

    करहल सीट पर 1993 से सपा का दबदबा है और 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2024 में कन्नौज से लोकसभा में जीत के बाद उन्होंने करहल सीट खाली कर दी, जिससे इस उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा भी अवनीश कुमार शाक्य नाम के उम्मीदवार को मैदान में उतारने के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक इस मुकाबले को भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई के रूप में देख रहे हैं। बसपा के इस कदम को सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर सपा के जिला प्रमुख एवं विधायक रह चुके आलोक शाक्य के शाक्य वोटों पर कब्ज़ा करने की उम्मीद है। रिश्तेदारों के बीच प्रतिद्वंद्विता तब और बढ़ गई, जब 24 मार्च, 2019 को धर्मेंद्र यादव के नाम से एक पत्र वायरल हुआ, जिसने भाजपा में शामिल होने के फैसले के बाद अनुजेश से खुद को दूर कर लिया था। पत्र में लिखा था, “जो कोई भी भाजपा में शामिल होता है, वह मेरा रिश्तेदार नहीं हो सकता।” हम आपको बता दें कि यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से महज चार किमी दूर स्थित करहल डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है। यह भी उल्लेखनीय है कि करहल उत्तर प्रदेश की उन नौ विधानसभा सीटों में से एक है जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। नतीजे 23 नवंबर को आने हैं।

    वहीं महाराष्ट्र के बारामती क्षेत्र की बात करें तो आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने विधानसभा चुनाव के लिए 45 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी की जिसमें बारामती सीट से युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया गया है। युगेंद्र इस सीट पर अपने चाचा एवं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को चुनौती देंगे। पिछले साल अपने चाचा और पार्टी संस्थापक शरद पवार से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष बने अजित पवार पुणे जिले के बारामती विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं। उनकी पार्टी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अजित अपनी पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ेंगे। युगेंद्र (32) अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के तहत 20 नवंबर को मतदान होगा जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

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    पवार परिवार के पारंपरिक गढ़ बारामती में हाल के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और उनकी ननद सुप्रिया सुले के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। सुले बारामती सीट से सांसद हैं। वह शरद पवार की बेटी और अजित की (चचेरी) बहन हैं। सुले ने 1.50 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने संवाददाता सम्मेलन में राकांपा (एसपी) उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बारामती के लोगों की मांग पर युगेंद्र को उम्मीदवार के रूप में चुना गया है। पाटिल ने कहा, “मैंने स्थानीय लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की। उनके अनुसार, युगेंद्र एक नया चेहरा हैं और सभी को साथ लेकर चल सकते हैं। हमें लगा कि वह हमारी तरफ से सबसे अच्छा विकल्प होंगे। जिस तरह से लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, इस बार परिणाम अलग होंगे।” टिकट दिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए युगेंद्र पवार ने कहा कि वह पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के आभारी हैं कि उन पर भरोसा जताया गया। युगेंद्र ने कहा कि वह पूरी निष्ठा से काम करेंगे।

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